Corona Warriors : पीरियड में भी PPE किट पहनकर ड्यूटी करती रहीं डॉ. कामना
पीजीआइ के एनस्थीसिया विभाग की पीजी चिकित्सक की 17 मई को लगाई थी ड्यूटी। पहली बार महामारी के दौरान कोविड के मरीजों के उपचार के लिए आइसीयू में लगाई थी ड्यूटी
रोहतक [पुनीत शर्मा] मासिक धर्म यानि पीरियड्स के चलते प्रतिमाह महिलाओं और युवतियों को असहनीय दर्द झेलना पड़ता है। इसके बावजूद वे इस संबंध में किसी भी स्थिति में बात करने के लिए तैयार नहीं होती हैं। वहीं, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) के एनस्थीसिया विभाग की पीजी चिकित्सक डा. कामना कक्कड़ को जब यह परेशानी हुई तो उन्होंने इसे छिपाने के बजाए सभी महिलाओं को अवगत कराने की ठानी। बृहस्पतिवार को मासिक धर्म दिवस के मौके पर उन्होंने अपनी बात सोशल साइट पर सार्वजनिक की।
पीजीआइ के एनस्थीसिया विभाग की पीजी चिकित्सक डा. कामना कक्कड़ की ड्यूटी कोविड मरीजों के उपचार के लिए 17 मई को लगाई गई थी।
डा. कामना ने बताया कि ड्यूटी से पहले उन्हेंं जब ट्रेनिंग दी गई तो उन्हेंं बड़ी खुशी हो रही थी कि वह महामारी से निपटने के लिए अपना योगदान देने जा रहीं हैं। ड्यूटी के लिए इतनी उत्सुक थी कि वह भूल गई कि ड्यूटी की समयावधि में उनके पीरियड्स भी आएंगे। उन्होंने बताया कि ड्यूटी शुरू करने के दो घंटे बाद ही जब पीरियड्स शुरू हुए तो उन्हेें याद आया कि आइसीयू में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलेगी जो पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के तौर पर प्रयोग किए जा सकें।
इस दौरान मन में ख्याल आया कि ड्यूटी छोड़कर अन्य चिकित्सक को बुलाया जाए, लेकिन ऐसा करने से पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट और समय दोनों की बर्बादी होती। इसके बाद फैसला लिया कि ऐसी स्थिति में ही ड्यूटी की जाएगी। ड्यूटी करने के बाद जब उन्होंने अपने दोस्तों से इस बात को शेयर किया तो उन्होंने मजाक भी बनाया कि ऐसी स्थिति में उसे ड्यूटी नहीं करनी चाहिए थी।
डा. कामना ने दैनिक जागरण को बताया कि देश में मात्र 36 फीसद महिलाओं को ही सैनेटरी पैड उपलब्ध हो जाते हैं। जबकि शेष महिलाएं गंदे कपड़े और पत्तों से ही अपना काम चला रहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यदि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सैक्सिस शॉक की बीमारी हो जाती है तो ऐसी स्थिति में महिला की जान भी जा सकती है।
पीपीई किट और भीषण गर्मी के साथ पीरियड्स ने बढ़ाई परेशानी
कोविड आइसीयू में मरीजों का उपचार करने के दौरान पीपीई किट पहनना आवश्यक होता है। किट को पहनने के बाद किसी भी स्थिति में चिकित्सक न तो कुछ खा सकता है और न ही उसे उतारकर कोई काम कर सकता है। पीपीई किट पहनने के बाद गर्मी और बढ़ जाती है। इस दौरान पीरियड्स आने से पूरे कपड़े भी खराब हो गए थे। हालांकि पीपीई किट वाटर प्रूफ होने के चलते उसमें से लीकेज नहीं हुआ और ड्यूटी पूरी करने के बाद ही कपड़े बदले।
डा. कामना बोलीं- महिलाओं को खुलकर करनी चाहिए बात
डा. कामना कक्कड़ ने कहा कि पीजीआइ में महिला चिकित्सकों, स्टाफ को पूरा सहयोग दिया जाता है। ड्यूटी से पहले उनसे पूछा जाता है कि उनकी ड्यूटी कहां लगानी है और कहां नहीं। उन्होंने महिलाओं और पुरुषों से आह्वान किया कि वह अपनी इस मासिक समस्या को लेकर किसी भी हाल में चुप न बैठें। ऐसा करना गंभीर बीमारी को न्योता देने के बराबर हो सकता है। साथ ही कहा कि एक चिकित्सक होने के नाते मुझे इस विषय चुप बैठने से परहेज करना चाहिए था, और मैने किया।