हाथ की सफाई है जादू: जादूगर सूरज सम्राट
हासी, संवाद सहयोगी : विश्व प्रसिद्ध जादूगर सूरज सम्राट ने कहा कि जादू के शो में जादू के साथ-साथ सामाजिक संदेश देकर लोगों को कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाने, नशाखोरी छोड़ने को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुरानी पीढ़ी पर एक छत्र राज करने वाले पुराने जादूगरों के दिन अब लद गए है और नई पीढ़ी के लिए जादू की नई आइटम लेकर नई पीढ़ी के जादूगर जादू के नये-नये करतब दिखा रहे है।
जादूगर सूरज सम्राट ने कल तीन दिसंबर से हासी के आदर्श सिनेमा में शुरू होने वाले जादू के शो से पहले एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित किया। सूरज सम्राट ने इससे पहले आखों पर काली पट्टी बाध कर मोटरसाइकिल चलाकर शहर के विभिन्न बाजारों में चक्कर लगाए। पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने कहा कि उन्होंने जादूगर सम्राट शकर के शो को देखने के बाद जादूगर बनने की ठान ली। बीए की डिग्री हासिल करने के बाद वो जादू सीखने के लिए कर्नाटक चला गया जहा जादूगर मधुसूदन से जादू सीखना शुरू कर दिया। दिल्ली के जादूगर राजकुमार से मुकम्मल जादू सीखने के बाद उन्होंने 5 साल तक छोटे-छोटे जादू के शो किए और पिछले 10 सालों से वो नेपाल, थाईलैंड, दक्षिणी कोरिया जैसे देशों के अलावा भारत के सभी राज्यों में जादू के बड़े शो करते आ रहे है। उन्होंने कहा कि उनका असली नाम उपेंद्र जैन है और वो गोयल परिवार से है। उन्होंने बताया कि जादू सीखना उनके घरवालों को पसंद नहीं था। उन्होंने परिजनों की मर्जी के खिलाफ जाकर छुप-छुप कर जादू सीखा और 1995 में उन्होंने पत्रकारों के समक्ष जादू का शो दिखाया जहा परिजनों को इसका पता न चले, उसके मित्र ने अखबारों में उसका नाम उपेंद्र की बजाए सूरज छपवा दिया। उन्होंने बताया कि उसका हासी से पारिवारिक सम्बंध है और उनके परदादा मोलड़ राम हासी के जमालपुर गाव में रहते थे जहा से उसके पिता गंगानगर चले आए और उनके चाचा दिल्ली जाकर बस गए। जादूगर सूरज ने बताया कि जादू में तंत्र-मंत्र नाम की कोई चीज नहीं है और ये केवल एक खेल है और इसमें साईस, हाथ की सफाई और थोड़ा हिप्नोटाइज कला का इस्तेमाल किया जाता है।
फोटो कैप्शन: 1. हासी: आखों पर काली पट्टी बाध कर मोटरसाइकिल चलाते हुए जादूगर सम्राट सूरज।
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