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गाड़ियों से बत्ती उतरी है लेकिन नेताओं व अफसरों का रुतबा बरकरार

जागरण संवाददाता, हिसार : बेशक, गाड़ियों से लाल-नारंगी बत्ती उतर चुकी है लेकिन नेताओं व अफसरों का र

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 01:01 AM (IST)
गाड़ियों से बत्ती उतरी है लेकिन नेताओं व अफसरों का रुतबा बरकरार

जागरण संवाददाता, हिसार :

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बेशक, गाड़ियों से लाल-नारंगी बत्ती उतर चुकी है लेकिन नेताओं व अफसरों का रुतबा बरकरार है। वीआइपी वाली मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। बत्ती जरूर उतर गई है लेकिन खुद को वीआइपी दिखाने के अन्य माध्यम भी खोजे जा चुके हैं। एक फैसले से भारत में वीआइपी कल्चर खत्म नहीं किया जा सकता। यह कहना है वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल का, जोकि दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता थे।

खोवाल ने बताया कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने लाल बत्ती लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले को वर्तमान सरकार में लागू किया गया है। यह सराहनीय कदम है लेकिन पूरी तरह से वीआइपी कल्चर खत्म करने के लिए सभी को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। बड़े नेताओं से लेकर अधिकारियों को अपनी शक्तियों को सही इस्तेमाल करने की जरूरत है। अकसर ऐसा नहीं होता है। खुद की चौधर दिखाने के लिए एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र में घुस जाते हैं। कहीं सांसद, विधायक अफसरों पर रौब जमाते हैं तो कहीं अफसर अपनी सीमा से बाहर जाकर काम करते हैं। संविधान के दायरे में रहकर काम करेंगे तो सुधार होगा।

खोवाल ने बताया कि जनप्रतिनिधियों व जनसेवक अपने साथ पांच-छह सुरक्षाकर्मी रखते हैं। यह उनका स्टेट्स सिंबल है, उन्हें सुरक्षा किस बात की। पर, खुद का रुतबा व वीआइपी वाली बात दिखाने के लिए बावर्दी सुरक्षाकर्मी लेकर घूमते हैं। अगर सुरक्षा चाहिए को सादी वर्दी में साथ लेकर चलें। ऐसा हुआ तो वीआइपी कल्चर पर चोट करने जैसा होगा। विधानसभा और लोकसभा का हिस्सा बनने वाले जनप्रतिनिधियों को खुद की सुख-सुविधाएं छोड़ देश हित में कानून बनाने चाहिए। नेताओं व अफसरों को उतनी शक्तियां दें, जितनी आवश्यक है।

खोवाल ने बताया कि नेताओं ने गाड़ियों पर से बत्ती उतार ली लेकिन उसका प्रचार करके अपना उल्लू भी सीधा किया है। यह पब्लिक सिटी स्टंट था, जिसके जरिए लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। अब अपनी उपलब्धि का अहसास करवाने के लिए नेता अफसरों पर दबाव बनाएंगे। किसी मंत्री या विधायक ने कहीं जाना है तो रास्ते में पुलिसकर्मी व मौके पर अफसर तैनात करवाएंगे, ताकि पता चल जाए कि कौन आ रहा है। इसलिए जरूर है जनप्रतिनिधि व जनसेवक की शक्तियों पर नियंत्रण पाना। वीआइपी कल्चर हमारी नस-नस में बसा हुआ है। यह एक नशा है जो व्यापक बदलाव के साथ धीरे-धीरे उतरेगा।


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