वार्ड वासी बोले, पशुओं से मुक्ति दिलाए प्रशासन
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: शहर का वार्ड नंबर 10 पुराने बस स्टैंड के बिल्कुल करीब है। नेशनल हाइवे के
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: शहर का वार्ड नंबर 10 पुराने बस स्टैंड के बिल्कुल करीब है। नेशनल हाइवे के साथ लगता होने के कारण इस वार्ड में बेहसरा पशुओं की भरमार है। दैनिक जागरण टीम ने रविवार को शहरवासियों की समस्या का जायजा लिया तो यह समस्या प्रमुख रूप से सामने आई। स्थानीय लोगों ने मांग रखी कि यदि उनके वार्ड को बेसहारा पशुओं से मुक्ति मिल जाए तो एक बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। यूं तो यहां पर समस्याएं और भी बहुत हैं, मगर पशुओं की वजह से गलियों से गुजरना मुश्किल हो जाता है।
इस वार्ड में हर गली में पशु नजर आते हैं। कई बार लोग इसकी शिकायत भी कर चुके है, लेकिन शिकायत का कोई असर भी नहीं हुआ। इस वार्ड में आवारा पशुओं की संख्या अधिक होने का मुख्य कारण ये भी है कि यहां से कुछ ही दूरी पर नंदीशाला व दूषित पड़ी चिल्ली झील हैं। इस कारण आवारा पशुओं की संख्या इस क्षेत्र में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसा भी नहीं है कि यहां से अधिकारी नहीं गुजरते, लेकिन समस्या देखकर अधिकारी भी आंखें मूंद कर चले जाते हैं। इस वार्ड में अन्य बड़ी समस्याएं सीवरेज व स्ट्रीट लाइट की भी है। गली में लाइटें न होने के कारण बाइक सवार इन पशुओं से टकराकर घायल हो रहे हैं।
--वार्ड में सबसे बड़ी समस्या पशुओं की हैं। हम कई बार अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन इसका हल नहीं हुआ। कई बार तो गली में इतने पशु आ जाते हैं कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। वे नगर परिषद को कई बार शिकायत दे चुके हैं। यहां तक कि पार्षद खुद भी अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। लेकिन अभी तक तो उनके मोहल्ले में समस्या दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
-परम ¨सह
--पशुओं का आंतक इतना है कि वे दरवाजे के पास आकर टक्कर मारते हैं। बच्चों व महिलाओं का भी बाहर जाना मुश्किल हैं। इसलिए अगर उनके घर में किसी सामान की जरूरत है तो पुरुषों का इंतजार करना पड़ता है। महिलाएं व बच्चे इतने डरे हुए हैं कि उन्हें दिन भर अपने घरों में कैद रहना पड़ रहा है। ¨हसक हो रहे पशुओं को देखकर डर लगता है। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का हल करवाये।
-जोगेंद्र ¨सह।
--पशुओं की ऐसी समस्या है कि कोई अकेला व्यक्ति समाधान नहीं कर सकता। मगर यह भी सच है कि प्रशासनिक सहयोग के बिना लोग मिलकर भी कुछ नहीं कर सकते। प्रशासन ने नंदीशाला तो बना दी लेकिन उसमें पशु नहीं रखे जा रहे है। वो जब भी शहर में बाइक लेकर जाते हैं तो हमें डर रहता है कि कभी कोई हादसा न हो जाये। इसलिए अब जब भी वे बाहर जाते हैं तो ऑटो से जाते। प्रशासन के प्रयास से ही यह समस्या हल हो सकती है।
-भावुक ¨सह।
--इस वार्ड में पशुओं की चपेट में आने से करीब 15 लोग घायल हो चुके हैं। अगर इसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा तो कब जागेगा। कुछ समय पूर्व नगरपरिषद ने आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए ठेका भी दिया था। केवल दो बार ही इन पशुओं को पकड़ा गया। इससे ज्यादा शहर में पशु छोड़ दिए गये है। अगर प्रशासन इस पर सख्त होता तो शहर में आज ये पशु नजर नहीं आते और न ही इतने लोग घायल होते।
-अतुल नागपाल।