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भक्ति की शुरूआत अपने घर से करनी चाहिए: सतीश निरकारी

संवाद सहयोगी, मंडी आदमपुर: संसार में जो कुछ भी हो रहा है ईश्वरीय इच्छा से हो रहा है। ईश्वर जो करत

By Edited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 01:01 AM (IST)
भक्ति की शुरूआत अपने घर से करनी चाहिए: सतीश निरकारी

संवाद सहयोगी, मंडी आदमपुर:

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संसार में जो कुछ भी हो रहा है ईश्वरीय इच्छा से हो रहा है। ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है। ईश्वर की इच्छा के बिना पत्ता भी नही हिलता। ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं। मनुष्य को अपना कुछ कीमती समय ईश्वर की भक्ति में अवश्य लगाना चाहिए। भक्ति की शुरूआत अपने घर से करनी चाहिए। बड़ों के चरणों में बैठना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए। यह प्रवचन दड़ौली रोड स्थित संत निरकारी सत्संग भवन में रविवार को निरंकारी मंडल के हिसार विद्वान प्रचारक सतीश कथूरिया ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बहु अपनी सास को माता और बहु को सास के प्रति माता की भावना रखनी चाहिए। जहा ऐसा होता है वो घर स्वर्ग बन जाता है। आत्मसमर्पण करने से ही भक्ति की शुरुआत होती है। मनुष्य जन्म से नही कर्म से महान होता है। निष्काम सेवा भक्ति को दृढ़ता प्रदान करती है। हिसार के क्षेत्रीय संचालक संतलाल गुलाटी ने कहा कि जो मनुष्य सेवा, सिमरन और सत्संग करता है सर्वश्रेष्ट होता है और ईश्वर के घर में उसकी कद्र होती है। ब्रह्मवेता सद्गुरु के शिष्य से धर्मराज भी लेखा मागने से झिझकता है। हिसार महिला विंग की प्रचारिका बहन सुष्मा कथूरिया ने मनुष्य के पाचों विकार के बारे में बताते हुए कहा कि जन्म से ही ये विकार मनुष्य के पीछे लग जाते है। इन दुर्गणों को सिर्फ सत्संग से ही काबू किया जा सकता है। इनके अलावा जितेंद्र, सुभाष, पंकज, रामकरण, महेद्र, कनिका, खुश्बू, मेनका व सुनहरी ने भी अपने विचार पेश किए तथा मंच का संचालन राजेंद्र मेहता ने किया।


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