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देसी गाय के दूध के नाम पर गोरखधंधा

दीपेश, हिसार : शहर के भीतर व आसपास देसी गाय के दूध के नाम पर गोरखधंधा जोर शोर से चल रहा है। गोशालाओं

By Edited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 06:42 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 06:42 PM (IST)
देसी गाय के दूध के नाम पर गोरखधंधा

दीपेश, हिसार : शहर के भीतर व आसपास देसी गाय के दूध के नाम पर गोरखधंधा जोर शोर से चल रहा है। गोशालाओं को प्रबंधकों ने एक बड़ा कारोबार का केंद्र बना दिया है। जहां देसी गाय के नाम पर लोगों को चूना बखूबी लगाया जा रहा है। एचएफ गाय के दूध को देसी गाय का दूध बताकर घरों में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। खास बात यह है कि इस गोरखधंधे पर किसी का कोई नियंत्रण भी नहीं है। सिवाय सजगता का।

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देसी गाय के दूध को लोग अमृत मान कर अपने बच्चों के खातिर खरीदते हैं। उन्हें भरोसा होता है कि गोशालाओं से आने वाला दूध देसी गाय का ही होगा और सौ फीसदी शुद्ध भी होगा। पर सच कुछ और ही है।

शहर के भीतर चार प्रमुख गोशालाएं हैं। जहां सैंकड़ों की संख्या में गाय हैं। खास बात यह भी कि ये सभी गोशालाएं किसी सरकारी इमदाद पर नहीं बल्कि शहर और उसके पास रहने वाले दानदाताओं की बदौलत चलती हैं। गोशाला का बुनियाद देसी गाय पर टिकी है। यही वजह है कि दानदाता बढ़चढ़कर गौ माता के नाम पर दान भी करते हैं। उन दानदाताओं में से कई घरों में दूध की सप्लाई भी होती है। जिसका वे मूल्य भी चुकता करते हैं। इस बात का उन्हें भरोसा होता है कि देसी गाय का शुद्ध दूध मिलेगा पर उनके या सामान्य ग्राहकों के घरों में भी देसी गाय के बदले एचएफ गाय के दूध की सप्लाई हो रही है।

देसी गाय के दूध की कीमत ज्यादा

अचरज की बात है कि गाय माता के दीवाने देसी गाय के दूध के नाम पर करीब 40 से 45 रुपये खरीद रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बड़ी संख्या में शहर की गोशालाओं में एचएफ का पालन किया जा रहा है। गोशालाओं में देसी गाय की संख्या कम है। खास बात यह है कि उस एचएफ गाय को खुद गोशाला के प्रबंधक खरीदते हैं। जो करीब बीस से तीस लीटर दूध देती है जबकि देसी गाय हद मारकर 14 लीटर दूध करती है। गोशाला प्रबंधक देसी गाय के दूध के साथ एचएफ गाय का दूध मिक्स कर देसी गाय के दूध के चहेतों को बेच देते हैं।

दोनों गायों में काफी अंतर

एचएफ (जर्सी) गाय का पालन करना गोशाला की परिभाषा से उलट है। देसी गाय के भक्तों का कहना है कि जर्सी गाय का पालन गोशाला में नहीं बल्कि डेयरी फार्म में होता है। मसलन शहर की गोशालाओं में जर्सी गाय का पालन हो रहा है तो वह गोशाला नहीं बल्कि डेयरी फार्म है। जिसका दूध देसी गाय की खूबियों के आगे कहीं भी नहीं ठहरती।

देसी गाय की नस्लें

देश में पाई जाने वाली देसी गाय की नस्लें :-

1-हरियाणा नस्लें की गाय

2- गुजरात की गिर गाय सालाना 2000-6000 लीटर दूध

3-यूपी हरियाणा पंजाब- साहीवाल- 2000-4000 लीटर दूध सलाना।

4- राजस्थान हरियाणा पंजाब- राठी- 1800-3500 लीटर सालाना।

5- सिंध कच्छ जैसलमेर जोधपुर- थरपार्कर- 1800- 3500 सालाना

6- उत्तरी गुजरात- राजस्थान- कांक्रेज- 1500-4000 लीटर दूध सालाना।

गोशाला वाले किसानों की गाय नहीं लेते

सूत्रों की मानें तो गोशाला प्रबंधक किसानों की गाय नहीं लेते हैं। जब कोई किसान गोशालाओं में गाय छोड़ने जाते हैं तो वे उनसे दान की बात करते हैं। दान की राशि 5000 से 11000 रुपये मांगते हैं। ऐसे में वह किसान अपनी गाय को लेकर वापस चला जाता है।

स्वदेशी मंच भारत के हरियाणा प्रभारी हरदीप सूरा और डा. गुंजन राणा बताते हैं। गोशाला का मतलब ही होता है देसी गायों का ठिकाना लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो रहा है। गोशालाओं में बड़ी संख्या में एचएफ गायें पाली जा रही हैं और गो भक्तों की आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है।

हरियाणा राज्य गोशाला संघ के प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह आर्य का कहना है कि गोशालाओं में जर्सी गाय का पालन किया जाना कानूनन गलत है। जर्सी गाय का दूध जहर है। इस बात को गुजरात हाईकोर्ट ने स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि गोशाला प्रबंधक जर्सी पाल रहे हैं तो इसका मतलब है कि वे एचएफ गाय की हकीकत से वाकिफ नहीं है। इसके लिए ठोस जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। गौ भक्तों की आस्था से खिलवाड़ अपराध है।


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