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जल संरक्षण : डेढ़ साल का प्रयास दस साल पर भारी

- जल संरक्षण अवार्ड से सम्मानित हुआ किरमारा गांव - गणतंत्र दिवस के मौके पर उपायुक्त ने किया पुरस्क

By Edited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 01:06 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 01:06 AM (IST)
जल संरक्षण : डेढ़ साल का प्रयास दस साल पर भारी

- जल संरक्षण अवार्ड से सम्मानित हुआ किरमारा गांव

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- गणतंत्र दिवस के मौके पर उपायुक्त ने किया पुरस्कृत

- पचास हजार नकद पुरस्कार मिला

दीपेश, हिसार

कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो सब कुछ संभव है। वर्षो से पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे एक गांव ने अपनी इच्छा शक्ति के बल पर पानी की बर्बादी पर तो रोक लगाई ही पेयजल संकट का भी स्थायी समाधान ढूंढ निकाला है।

जल संरक्षण की इस मुहिम को भले ही प्रदेश सरकार ने प्रोत्साहित किया हो पर जिले के लिए किरमारा गांव मिसाल बनकर सामने आया है। इसकी बदौलत उस गांव को जिला प्रशासन ने गणतंत्र दिवस के मौके पर जल संरक्षण अवार्ड से न सिर्फ सम्मानित किया है बल्कि पचास हजार रुपये के नकद पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया है।

गांव किरमारा। संपन्न किसानों का गांव। बड़े से लेकर छोटे किसान इस गांव में हैं। यही नहीं शिक्षा का स्तर भी सामान्य गांवों से बेहतर है। इतना सब कुछ होने के बावजूद इस गांव के लोग बीते दस वर्षो से पेयजल की किल्लत से जूझ रहे थे। जिनके यहां वाटर सप्लाई का कनेक्शन था वे भी पेयजल के लिए तरस रहे थे। ऊंचाई वाले स्थान पर बने घरों में नलों से एक बूंद भी पानी नहीं टपकता था।

समस्या सिर चढ़कर बोली तो जागे

समस्या जब सिर से गुजरने गली तो गांव में पंचायत हुई। तय किया गया कि हर घर में पानी पहुंचे और बर्बाद हो रहे जल को बचाया जाए। इस पर गांव वालों की सहमति बनी और शुरू हो गई पानी बचाओ मुहिम। गांव के सरपंच ने क्षेत्रीय बीआरसी सुभाष चंद्र से संपर्क किया।

यह थी बर्बादी की मूल वजह

गांव में पानी की समस्या की मूल वजह जानने का प्रयास किया गया तो पता चला कि गांव में पानी की बर्बादी खूब हो रही है। वह कैसे तो पता चला कि पाइप लाइन को सीधे तौर पर घरों और बैठक से जोड़ दिया गया है। उसमें कोई टोंटी भी नहीं है। पानी आता है तो वह लगातार पाइप से बहता ही रहता है। भले ही उस का इस्तेमाल हो या नहीं हो। पानी घरों व गलियों के नालों में बह रहा था। इससे प्रत्येक दिन करीब आठ हजार लीटर पानी की बर्बादी हो रही थी। इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में डेढ़ वर्ष लग गए।

-खुद पंचायत ने लिया निर्णय

जल की बर्बादी को देख पंचायत ने खुद के स्तर पर निर्णय लिया कि प्रत्येक घर में टोंटी लगाई जाएगी। साथ ही वाटर सप्लाई की पाइप लाइन को भी तत्काल प्रभाव से दुरुस्त करवाया जाएगा।

फिर क्या था। पंचायत ने अपने खर्च पर टोंटियां खरीदी। पलंबर बुलवाए। साथ ही घरों और उसके बाहर लगे कनेक्शन में टोटियां लगाने का काम शुरू कर दिया। इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में चालीस हजार रुपये से अधिक खर्च हो गए।

-अवैध से वैध हुए कनेक्शन

पंचायत की इस मुहिम ने जल संरक्षण के साथ ही सरकार को भी लाभ पहुंचाया है। दरअसल पूर्व में किरमारा गांव में पेयजल के कनेक्शन अधिकतर अवैध थे। पंचायत की इस पहल पर सारे कनेक्शन वैध हो गए हैं।

सरपंच रमेश किरमारा ने बताया कि पंचायत की इस मुहिम को जिला प्रशासन ने हाथों हाथ लिया और गणतंत्र दिवस के मौके पर पंचायत को सम्मानित किया। साथ ही पचास हजार रुपये का इनाम भी दिया।

सात हजार लीटर से अधिक होता था पानी बर्बाद

नलों पर टोंटी नहीं होने की वजह से सात हजार से लीटर से अधिक पानी बर्बाद होता था। अब वही पानी ऊंचाई वाले घरों में भी पहुंच रहा है।

कनेक्शन की कुल स्थिति

गांव की आबादी- छह हजार

कुल घर - 1206

कनेक्शन- 1005

पूर्व में सात कनेक्शन थे। जो पंचायत के मुताबिक अवैध थे। अब सारे वैध हो चुके हैं।


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