अलग रह रही थी मम्मी, बच्चों काे आई याद तो रचा हाईवोल्टेज ड्रामा, खुलासा हुआ तो दंग रह गए लोग
दो बच्चों द्वारा अपने अपहरण का हाई वोल्टेज ड्रामा रचने से पुलिस के होश उड़ गए। दाेनों बच्चों ने ऐसी कहानी रची कि कई घंटे तक पुलिस इधर से उधर भटकती रही।
हिसार/ डबवाली (सिरसा), जेएनएन। मां से दूर रह रहे राजस्थान के श्रीगंगानगर के दो बच्चों को उसकी याद आई तो उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया कि पुलिस और परिजनों के होश उड़ गए। 11 साल के ये दाेनों बच्चों ने डबवाली पहुंचकर खुद के अपहरण का हाईवोल्टेज ड्रामा रच दिया। इससे पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। दरअसल दोनों बच्चे अपनी-अपनी मां से मिलने जाना चाहते थे और परिजनों को इस बारे में पता न चल सके इसलिए पूरी कहानी गढ़ी। बाद में सीसीटीवी फुटेज की जांच में दिखाई दिया कि दोनों स्कूल बैग तथा आइ कार्ड फेंककर फरार हुए थे। बच्चे मिलने के बाद श्रीगंगानगर की सदर थाना पुलिस ने राहत की सांस ली।
दरअसल बच्चा उठा ले जाने वाले गिरोह की अफवाह के चलते राजस्थान पुलिस सुबह से दोनों को ढूंढ रही थी। यहां तक कि पुलिस ने नहरों में बच्चों को तलाश करना शुरू कर दिया था। दोनों बच्चे श्रीगंगानगर के एक निजी विद्यालय में छठी कक्षा के छात्र हैं। सुबह घर से विद्यालय के लिए निकले थे। मामले को खुलासा उस समय हुआ जब कुणाल नाम के एक बच्चे का पिता स्कूल पहुंचा। विद्यालय के निकट मोबाइल की दुकान चलाने वाला रामदेव किसी कार्य के लिए विद्यालय गया तो उसे पता चला कि उसका बेटा कुणाल स्कूल आया ही नहीं। कक्षा से एक अन्य बच्चा कर्ण भी गायब था।
रामदेव ने इसके बाद बच्चे के मामा वेद व्यास को कॉल कर जानकारी दी। मामले की सूचना सदर थाना श्रीगंगानगर को पहुंची तो पुलिस बच्चों को ढूंढने में जुट गई। शाम करीब 4 बजे डबवाली रेलवे स्टेशन पर मौजूद विनोद तथा कालू के पास बच्चे भागते हुए आए। उन्होंने हड़बड़ाहट में उससे एक कॉल करने के लिए मोबाइल मांगा। बच्चों ने बताया कि उनका कार सवार लोगों ने कुछ सूंघाने के बाद अपहरण किया है। रेलवे फाटक बंद होने के कारण वे भागकर आए हैं।
बच्चों ने बताया कि कार में दो और बच्चे थे, जो सो रहे थे। संभव है कि उनका अपहरण किया हो। इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने दोनों बच्चों को जीआरपी के हवाले कर दिया। इस बारे में सूचना मिलने के बाद शहर थाना पुलिस अलर्ट हो गई। बच्चों से पूछताछ के बाद इस बारे में उनके परिजनों को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद रामदेव तथा कर्ण के पिता वेदव्यास डबवाली पहुंचे।
इसी दौरान सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि कर्ण साइकिल चला रहा था, कुणाल उसके साथ बैठा था। विद्यालय से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर दोनों ने बैग तथा आइ कार्ड फेंक दिए। इसके बाद पुलिस ने पूछताछ की तो दोनों ने बताया कि उनका किसी ने अपहरण नहीं किया था। वे तो नांदेड साहिब जाने वाली गाड़ी में सवार हुए थे। जैसे ही रेलगाड़ी डबवाली में रुक गई, तो डर गए और ट्रेन से उतर गए।
मम्मी की याद आ रही थी, इसलिए मिलने भागे
'' कर्ण अपने नाना के पास श्रीगंगानगर में रहता है, तो वहीं तलाक के बाद कुणाल अपने पिता के साथ रहता है। दोनों अपनी-अपनी मां से मिलने घर से निकले थे। कर्ण बिहार तो कुणाल को अमृतसर जाना था। श्रीगंगानगर से डबवाली पहुंचकर बहनों की याद सताने लगी तो कुणाल ने कर्ण को रोक लिया, दोनों उतर गए। बाद में कहानी गढ़ दी। बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया है।
- कृष्ण कुमार, शहर थाना प्रभारी, डबवाली।
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