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आजाद मुल्क में मुस्लिम औरतें भी अब घर में आजादी से रहेंगी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को तीन तलाक पर अपना ऐतिहासिक

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 03:00 AM (IST)
आजाद मुल्क में मुस्लिम औरतें भी अब घर में आजादी से रहेंगी
आजाद मुल्क में मुस्लिम औरतें भी अब घर में आजादी से रहेंगी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को तीन तलाक पर अपना ऐतिहासिक फैसला देते हुए इसे असंवैधानिक बताया। इसी के बाद से यह सोशल साइट्स का हॉट ट्रेंड बन गया। समाज के हर वर्ग की निगाहें कोर्ट के निर्णय पर टिकी थीं।

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फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, वाट्स एप पर यह लगातार छाया रहा। अधिकतर का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं को जलालत भरी ¨जदगी से छुटकारा मिल गया है। अब वह फक्र से सर उठाकर समानता ¨जदगी बसर कर सकती हैं। सोशल प्लेटफार्म पर एक मुस्लिम महिला ने लिखा है कि आजाद मुल्क में मुसलमान औरत अब घर में भी आजादी से रहेगी।

ट्वीटर पर प्रदीप बघेला लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय किसी की जय या पराजय नहीं है। यह मुस्लिम समाज की महिलाओं के समानता के अधिकार और मूलभूत संवैधानिक अधिकार की विजय है। वहीं नितिन पंडित लिखते हैं कि मुस्लिम औरतों को आजादी मुबारक। सुलोचना शर्मा ट्वीटर पर लिखती हैं कि मुस्लिम बहनों को लख-लख बधाइयां। वाट्स एप पर भी तीन तलाक के असंवैधानिक घोषित होने के बाद संदेशों की भरमार हो गयी है। लोगों ने कहा कि सिर्फ तलाक ही नहीं सभी प्रकार की सामाजिक बुराइयों का खात्मा होना चाहिए, वह चाहे किसी भी धर्म व समाज में हो। ट्वीटर पर तो नेताओं, राजनेताओं से लेकर विभिन्न संगठनों के लोगों द्वारा सर्वोच्च अदालत के निर्णय का स्वागत किया गया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लिखा है कि तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं। यह फैसला मुस्लिम महिलाओं को समानता का अधिकार प्रदान करेगा। ट्वीटर पर डॉ. फातिमा लियाकत ने लिखा है कि आजाद मुल्क में मुसलमान औरत अब घर में भी आजादी से रहेगी।

फेसबुक पर भी कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बारे में अपनी राय व्यक्त की है। इनका कहना है कि यह फैसला समानता के अधिकार और मौलिक अधिकारों के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर है। एक नागरिक के नाते मुस्लिम महिलाओं को भी समानता की दरकार थी। जो तीन तलाक जैसी बुराई को खत्म करते उन्हें प्रदान की गई।


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