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पर्यावरण के रक्षक ही लापरवाह, फिर कौन करे परवाह

आदित्य राज, गुरुग्राम जब असली रक्षक ही लापरवाह हो जाए फिर किससे उम्मीद की जा सकती है। पर्यावरण

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 09:36 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 09:36 PM (IST)
पर्यावरण के रक्षक ही लापरवाह, फिर कौन करे परवाह

आदित्य राज, गुरुग्राम

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जब असली रक्षक ही लापरवाह हो जाए फिर किससे उम्मीद की जा सकती है। पर्यावरण संरक्षण के मामले में कुछ ऐसा ही दिख रहा है। मानेसर एवं फरुखनगर इलाके में वन विभाग की लापरवाही या जानबूझकर की गई गलती से हजारों पेड़ों की बली चढ़ चुकी है। दोनों इलाके तीन साल से सेक्शन चार के दायरे से बाहर है। दायरे से बाहर होने की वजह से पेड़ों की कटाई करने से पहले विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं।

पूरे जिले में पिछले कई वर्षों से पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम का सेक्शन चार लागू है। समय-समय पर इसका विस्तार किया जाता है। तीन साल पहले भी विस्तार किया गया। विस्तार में गुरुग्राम, सोहना एवं पटौदी तहसील का नाम भेजा गया लेकिन मानेसर एवं फरुखनगर तसहील का नाम छोड़ दिया गया। इस वजह से दोनों तहसीलों में सेक्शन चार लागू नहीं है। इस बारे में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत काफी लोग आवाज बुलंद कर चुके हैं लेकिन विभाग के ऊपर कोई असर नहीं। अब लगने लगा है कि भूल नहीं बल्कि जानबूझकर दो तहसील के नाम नहीं भेजे गए। यदि भूल होती तो अब तक सुधार कर लिया जाता। मानेसर निवासी पर्यावरण कार्यकर्ता राजकुमार का कहना है कि बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए मानेसर एवं फरुखनगर तहसील को सेक्शन चार से बाहर रखा गया है। मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस बारे में वन संरक्षक एमडी सिन्हा कहते हैं कि स्थानीय स्तर से कई बार चंडीगढ़ रिमाइंडर भेजा जा चुका है।

हजारों पेड़ों की चढ़ चुकी है बली

जानकारों के मुताबिक तीन साल में हजारों पेड़ों की बली चढ़ चुकी है। अपनी मर्जी से लोग पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। शिकायत आने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर सकते। उदाहरणस्वरूप दो साल पहले गांव कासन स्थित प्रसिद्ध मंदिर के नजदीक काफी संख्या में पेड़ों को एक व्यक्ति ने जेसीबी से उखड़वा दिया। जब पौधरोपण अभियान चलाया गया था उसमें तत्कालीन उप वन संरक्षक ने भी हिस्सा लिया था। सेक्शन चार लागू न होने की वजह से शिकायत पर शिकायत के बाद भी वन विभाग ने कार्रवाई नहीं की। इसी तरह मानेसर से बिलासपुर की तरफ दिल्ली-जयपुर हाईवे के किनारे व आसपास के अरावली पहाड़ी क्षेत्र में काफी पेड़ काटे जा चुके हैं। यही नहीं मानेसर के जिन इलाकों में सेक्टर विकसित हो रहे हैं, उन इलाकों में काफी संख्या में बिना अनुमति के ही पेड़ काट दिए गए। प्रतिदिन कहीं न कहीं से शिकायत आती है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।

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पर्यावरण संरक्षण की बात कागजों में अधिक हो रही है। जब तक वन विभाग के अधिकारी से लेकर पूरा जिला प्रशासन पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं होगा तब तक बात नहीं बनेगी। जिन इलाकों में सेक्शन चार लागू है, उन इलाकों में भी तो बिना अनुमति के पेड़ काट दिए जाते हैं। अनुमति से जो पेड़ काटे जाते हैं, उसके बदले में कहां पौधे लगाए गए, इस बारे में कोई ध्यान देने को तैयार नहीं।

- शरद गोयल, अध्यक्ष, नेचर इंटरनेशनल।

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वन विभाग के अधिकतर अधिकारियों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जो गंभीरता होनी चाहिए, वह नहीं दिख रही है। यही वजह है कि बिना अनुमति के पेड़ काटे जा रहे हैं। मानेसर जैसा इलाका जहां हर तरफ निर्माण चल रहा है, वह सेक्शन चार के दायरे से बाहर है। यदि भूल हुई थी तो अब तक सुधार क्यों नहीं किया गया। इससे साफ लगता है कि कहीं न कहीं स्वार्थ है।

--- डा. आरपी बालवान, पूर्व वन संरक्षक


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