दम तोड़ रही है खेल स्कीम खेलो इंडिया
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : केंद्रीय खेल स्कीम (खेलो इंडिया) गुरुग्राम में दम तोड़ रही है। पिछ
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम :
केंद्रीय खेल स्कीम (खेलो इंडिया) गुरुग्राम में दम तोड़ रही है। पिछली केंद्र सरकार ने इस स्कीम को शुरू किया था। इस खेल स्कीम में प्लान था कि हर वर्ष देश के हर जिले से 7-7 गांव स्कीम में शामिल किए जाएंगे। ताकि आने वाले वर्षों में देश के सभी गांवों को खेलों से जोड़ा जाए। स्कीम के तहत जिस गांव को जोड़ा जाता है उस गांव में खेलने का समान केंद्र सरकार की तरफ से भेजा जाता है।
इस खेल स्कीम का मकसद है कि देश के सभी गांव में खेलों के सेंटर उपलब्ध होने चाहिए। लेकिन अब यह स्कीम धीरे धीरे खानापूर्ति की ओर बढ़ रहा है। इस स्कीम का नियम है कि इसमें गांव का ही बच्चा खेल सकता है।
प्रदेश खेल विभाग की निगरानी :::
इस खेल स्कीम की देख-रेख हर प्रदेश के खेल विभाग के माध्यम से होती है। हर जिले में प्रदेश का एक अधिकारी कागजी तौर पर जांच करता है ओर अपनी रिपोर्ट भेज देता है कि सब सही है। लेकिन सच्चाई यह है कि एक या दो गांव को छोड़ दें तो किसी में गांव में खेलो इंडिया खेल स्कीम द्वारा दिए गए खेल सामान का सेंटर नहीं चल रहा है। हर वर्ष आयोजित खेलों में स्कूलों के खिलाड़ियों को शामिल कर खेलों का आयोजन करा दिया जाता है। इस स्कीम का नियम है कि इसमें गांव का ही बच्चा खेल सकता है।
खेल सामान नहीं पहुंचा या गायब हो गया :::
जिला स्तर पर जिला खेल अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि स्कीम के तहत आए खेल सामान से गांवों में खेलों के सेंटर स्थापित कराए। लेकिन नेहरू स्टेडियम में अलग अलग कोने में खेल सामान पड़ा है ताकि एक साथ किसी को दिखाई ना दे। पिछले एक वर्ष से यह सामान गांवों में जाने का इंतजार कर रहा है।
जिन गांवों में खेल सामान गया हुआ है उनमें सेंटर ना के बराबर चल रहे है। लेकिन उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट यही भेजी जा रही है कि सब बेहतर है।
अपने कोच पर सही निगरानी नहीं ::
जब जिला खेल अधिकारी अपने ही विभाग के कोच से को¨चग सेंटर नहीं चलवा पा रहे हैं तो केंद्र सरकार की स्कीम में चल रहे सेंटरों को कैसे सही चलवा पाएंगे। खेलो इंडिया स्कीम के सेंटर गांव पंचायत या सरकारी स्कूल के चार्ज में चलते हैं।
जब भी केंद्रीय खेल स्कीम का सामान आता है, उसमें गांवों के नाम पहले ही तय होते हैं कि किन गांवों में सामान जाएगा। यह गंभीर मामला है कि एक वर्ष बाद भी खेल सामान नहीं पहुंचा है। इसपर रिपोर्ट ली जाएगी।
जगदीप ¨सह, खेल निदेशक, हरियाणा