सुविधाओं के अभाव में स्क्वैश में नहीं बना पा रहे भविष्य
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : खेल स्कीम में शामिल होने के बाद भी हरियाणा के खिलाड़ी स्क्वैश में भविष्य
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : खेल स्कीम में शामिल होने के बाद भी हरियाणा के खिलाड़ी स्क्वैश में भविष्य नहीं बना पा रहे हैं। क्योंकि प्रदेश खेल विभाग के पास एक भी प्रशिक्षण केन्द्र नहीं है। अगर प्रदेश के बड़े शहरों में सर्वे कराया जाए तो इस गेम को खेलने के इच्छुक बच्चों की संख्या काफी मिलेगी। लेकिन जब इसके लिए कोई संसाधन ही नहीं हैं तो बच्चे प्रशिक्षण कैसे लें। यही कारण है कि इस गेम में अभी तक एक या दो को छोड़ दें तो प्रदेश से कोई भी खिलाड़ी आगे नहीं आया है। जो खिलाड़ी हैं भी वे दूसरे राज्यों से प्रशिक्षण ले रहे हैं। खेल विभाग अगर प्रदेश में सुविधा उपलब्ध करा दे तो खिलाड़ी इस गेम में भी नाम रोशन कर सकेंगे।
कैसे खेला जाता है स्क्वैश :
यह लॉन टेनिस की तरह खेला जाता है लेकिन इसमें सामने कोई खिलाड़ी नहीं होता, बल्कि एक दीवार होती है और उसी पर दो खिलाड़ी खेलते हैं। इसके सेंटर बनाने में ज्यादा खर्च नहीं आता। यह एक हॉल में भी बनाया जा सकता है। आज ऐसी सामग्री उपलब्ध है कि सस्ते व आसानी से प्रैक्टिस के लिए सेंटर बनाए जा सकते हैं।
कुश्ती, बॉक्सिंग व कबड्डी के सरकारी को¨चग सेंटर नहीं :
हरियाणा में कुश्ती, बॉ¨क्सग व कबड्डी ऐसे गेम हैं जिनके कोई सरकारी सेंटर नहीं हैं। कुछ को¨चग सेंटर पहले से ही ग्रामीण स्तर पर स्थानीय लोगों द्वारा चलाए जाते हैं। जहां से काफी खिलाड़ी निकल रहे हैं। यह वो सेंटर हैं जिनमें सरकार का कोई योगदान नहीं है। इसी कारण अन्य प्रदेशों के लोगों को लगता है कि हरियाणा में खेलने की सुविधा ज्यादा है, जबकि ऐसा नहीं है। तीन-चार गेम को छोड़ दें तो हरियाणा में ज्यादातर खेलों में सुविधाओं का बड़ा टोटा है।
प्राइवेट स्कूलों में हैं सेंटर :
कई प्राइवेट स्कूलों में स्क्वैश की प्रैक्टिस होती है, लेकिन उसमें फीस ज्यादा है। साथ ही वहां बेहतर प्रैक्टिस की सुविधा नहीं है। स्कूलों की प्रैक्टिस में सिर्फ शौक पूरा किया जा सकता है। कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं बन सकता।
सरकारी सेंटर होने से ज्यादा खिलाड़ी जुड़ेंगे :
खेल विभाग गुरुग्राम व फरीदाबाद जैसे शहरों में को¨चग सेंटर बनाए तो बड़ी संख्या में खिलाड़ी जुड़ेंगे। शहरी बच्चों में यह गेम बड़ा पसंद किया जाता है। इसे खेलने के लिए वे दिल्ली तक जाते है ताकि प्रैक्टिस की जा सके।
आज हरियाणा के युवाओं को कुश्ती, बॉक्सिंग, कबड्डी या हॉकी तक सीमित नहीं रख सकते। उन्हें उन गेम की भी सुविधा देनी होगी, जो विश्व स्तर पर खेली जा रही हैं। हरियाणा में तेजी से खेलों की सुविधा बढ़ाने की जरूरत है।
एमके कौशिक, पूर्व हॉकी ओलंपिक पदक विजेता