अपने ही अखबार में छपी थी गांधी जी को सजा दिए जाने की खबर
सत्येंद्र ¨सह, गुरुग्राम अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नव
सत्येंद्र ¨सह, गुरुग्राम
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नव वर्ष प्रतिपदा को ही अपने साप्ताहिक अखबार ¨हदी नवजीवन का प्रकाशन शुरू किया था। अंग्रेजी हुकूमत ने देशद्रोह के आरोप में जब उन्हें छह साल की सजा सुनाई तो अखबार ने खबर को प्रमुखता से छापा था। पुरानी चीजों को संभाल कर रखने वाले बीएल सामरा के पास वर्ष 1921 में प्रकाशित हुए अखबार के 52 अंक सुरक्षित हैं। गांधी जी अखबार के संपादक थे, लेकिन जेल में रहने की वजह से संपादक का कार्यभार हरिभाऊ उपाध्याय ने संभाला था। अदालत से विशेष अनुमति लेकर मामले की कोर्ट की लाइव रिपोर्टिंग ¨चतामणि देशमुख ने की थी।
एलआइसी में उच्च पद पर रह चुके बीएल सामरा मूल रूप से गीता कालोनी अजमेर के रहने वाले हैं। इन दिनों वह अपने बेटे के पास गुरुग्राम के मालबू टाउन में रह रहे हैं। सामरा को पुराने सिक्के व कई तरह की पुरानी चीजों का कलेक्शन का बचपन से ही शौक रहा।
जज को दिया था धन्यवाद
19 मार्च 1923 को गांधी जी को जिस जज ने सजा सुनाई थी, उसी ने राष्ट्रपिता के राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले को भी सजा सुनाई थी। तब गांधी जी ने कहा था, धन्यवाद जज साहब! आपने तो मुझे मेरे गुरु के समकक्ष खड़ा कर दिया। जज ने फैसला सुनाने से पहले गांधी जी को नमन किया था। गांधी जी कठघरे में खड़े थे तो जज ने सम्मान में अपना हैट उतारा, बाद में सीट पर बैठे और आगे की कार्रवाई शुरू की।
युवाओं को ¨हदुस्तान का सच बताने के लिए कलेक्शन
अखबार के 52 अंक बाइं¨डग करवा कर रखे हैं, ताकि अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार की सच्चाई हमारे युवा जान सकें। साथ ही ¨हदुस्तान का सच सदियों तक सुरक्षित रहे। आने वाली पीढ़ी इस सच को जाने और उनके मन में देश के प्रति और प्रेम बढ़े।
-बीएल सामरा