सप्ताह का साक्षात्कार : चिकनगुनिया के प्रभाव तक छुट्टी के दिन भी चलेगी ओपीडी
अनिल भारद्वाज, गुड़गांव गुड़गांव प्रदेश का एक मात्र जिला है, जो छुट्टी के दिन भी ओपीडी चलाकर मरीज
अनिल भारद्वाज, गुड़गांव
गुड़गांव प्रदेश का एक मात्र जिला है, जो छुट्टी के दिन भी ओपीडी चलाकर मरीजों को बड़ी राहत दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग का यह फैसला उस समय आया, जब शहर में वायरल बुखार, चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। जिसे देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग का यह एक बड़ा फैसला रहा। फिजीशियन डॉक्टरों की टीम व अधिकारियों ने सरकारी नियमों से अलग हटकर मानव सेवा का एक उदाहरण पेश किया है। अधिकारियों का कहना है कि इस काम में डॉक्टरों के साथ स्टाफ का भी सहयोग रहा है। शहर में फैली बीमारी से निपटने के खास इंतजाम को लेकर नवनियुक्त सिविल सर्जन डॉ. पुष्पा बिश्नोई से खास बातचीत के अंश :
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प्रदेश का गुड़गांव अकेला जिला है जहां, छुट्टी के दिन ओपीडी शुरू की?
प्रदेश के किसी भी जिले से ज्यादा मरीज गुड़गांव में हैं। यहां पर मरीजों की संख्या ज्यादा है। इसलिए मरीजों को एक तरह से 24 घंटे जैसी स्वास्थ्य सेवाएं देने की जरूरत थी।
क्या आपके इस फैसले का विरोध नहीं हुआ?
जी नहीं, मैंने अपने डॉक्टरों से यह चर्चा की और डॉक्टरों ने अपनी सहमति जताई। आप विश्वास नहीं करेंगे, जब मैंने डॉक्टरों के साथ यह विचार किया तो डॉक्टरों में ज्यादा उत्साह दिखा। आप कह सकते हैं कि मानव सेवा के लिए डॉक्टर मुझसे आके मिले।
हैरानी हो रही है कि जो डॉक्टर तनख्वाह के लिए हड़ताल कर रहे हैं, वो छुट्टी वाले दिन काम कर रहे हैं?
यह एक अलग मुद्दा है और मरीजों को इलाज देना अलग मुद्दा है। आपने देखा होगा कि डॉक्टरों ने कभी भी 1-2 घंटे की हड़ताल की
तो मरीजों का इलाज नहीं रोका। मैंने कहा कि मरीजों के प्रति डॉक्टरों का व्यवहार बेहतर है वो आपको छुट्टी वाले दिन दिख रहा है।
कितने दिन छुट्टी के दिन ओपीडी चलेगी?
जब तक शहर में बुखार व चिकनगुनिया का प्रभाव ज्यादा रहेगा। वैसे अच्छी बात है कि अब मरीज कम होने लगे हैं।
अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की शिकायत दूर नहीं हुई?
ऐसा नहीं है, हमने डॉक्टरों की संख्या वहां पर पहले से ही बढ़ाई हुई है, ताकि जो मरीज बीमारी हैं। उसे अलग डॉक्टर देखें और एमएलसी के मामले दूसरा डॉक्टर देखें। कभी कभार ज्यादा मरीज हो जाते हैं। इसलिए आपको ऐसा लगाता है। कई बार मैंने या पीएमओ डॉ. कांता स्वयं जांच करते रहे हैं।
अस्पताल के गायनी वार्ड का रिकॉर्ड देखें, रेफर मामले ज्यादा हैं और रात के समय ज्यादा?
आपकी यह शिकायत स्पेशल रहती है। हमने हर माह के रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है कि कितनी गर्भवती महिलाएं रेफर हुई और क्यों हुईं। ऐसे में डॉक्टर से जवाब ले सकेंगे। हमारा प्रयास यही है कि कम से कम मरीज रेफर किए जाएं।
जिले की पीएचसी व सीएचसी पर डॉक्टरों का कम मिलना चर्चा में रहता है?
मैंने आने के बाद चे¨कग शुरू कर दी है। स्वयं दौरे कर रही हूं। वैसे भी नजर रखी जा रही है कि कौन डॉक्टर समय पर नहीं पहुंच रहे हैं।
सोहना में मरीजों की बड़ी शिकायत रहती है। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी वार्ड में तक?
वहां की शिकायत मिल रही हैं लेकिन इतनी बड़ी समस्या नहीं है। डॉक्टरों से बात कर शिकायत दूर की जाएंगी।
शहर में कहीं ना कहीं भ्रूण ¨लग की जांच की जा रही है?
देखिए, जिला स्वास्थ्य विभाग पिछले एक- डेढ़ वर्ष में 8-10 मामले पकड़ चुका है। आगे भी सख्ती जारी रहेगी। जिला उपायुक्त ने एनसीआर और गुड़गांव के लगते प्रदेश के शहरों के साथ जो एक नेटवर्क बनाया है, उससे टीमों ने कई शहरों में मिलकर छापेमारी की और दोषी पकड़े हैं। गुड़गांव समेत आस पास के शहरों में मिलकर भ्रूण ¨लग जांच करने वालों की लगभग कमर तोड़ चुके हैं।
परिचय ::::::::::::
नाम: डा. पुष्पा बिश्नोई
जन्म स्थान: जोधपुर राजस्थान
शिक्षा: एमबीबीएस, एस एन मेडिकल कालेज जोधपुर
एमडी : रोहतक मेडिकल कालेज
विशेषज्ञ : गायनी विशेषज्ञ
नियुक्ति: हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस जनवरी 1989
सिविल सर्जन पद नियुक्ति: 2014 में गुड़गांव, रेवाड़ी, गुड़गांव।