दुर्घटना का 'वे' बना दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे
आदित्य राज, गुड़गांव हाईवे या एक्सप्रेस-वे को लाइफ लाइन माना जाता है लेकिन यह बात दिल्ली-गुड़गांव
आदित्य राज, गुड़गांव
हाईवे या एक्सप्रेस-वे को लाइफ लाइन माना जाता है लेकिन यह बात दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर सटीक नहीं बैठती है। सुरक्षात्मक कमियों की वजह से एक्सप्रेस-वे का अधिकतर भाग दुर्घटना का 'वे' बन चुका है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के चेयरमैन के दौरे के बाद भी एक्सप्रेस-वे के सभी प्रवेश एवं निकास को चौड़ा करने की बात तो दूर कहीं-कहीं पर पता भी नहीं चलता है कि प्रवेश है या निकास। इस वजह से हर पल दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है।
दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर वर्ष 2008 से लेकर अब तक सैकड़ों लोग मौत के शिकार हो चुके हैं। यही नहीं प्रतिदिन कहीं न कहीं छोटी-बड़ी दुर्घटना होती है। इसके बाद भी एक्सप्रेस-वे पर सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
टू-व्हीलर चालकों पर लगाम नहीं
एक्सप्रेस-वे पर सबसे अधिक मौत के शिकार या अन्य दुर्घटना के शिकार टू-व्हीलर चालक हुए हैं या होते रहते हैं। इसके बाद भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) इसके ऊपर ध्यान देने को राजी नहीं। एक्सप्रेस-वे पर जगह-जगह कैमरे लगा दिए गए। दावा किया गया था कि ओवरलोड वाहन एक्सप्रेस-वे पर आते ही पकड़ में आ जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सर्विस लेन की हालत दयनीय
हीरो होंडा चौक व आसपास सर्विस लेन में कहीं-कहीं पर काफी गहरे गड्ढे बन चुके हैं। भरने के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। इससे प्रतिदिन लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं। एक्सप्रेस-वे पर जगह-जगह पानी निकासी के लिए नाले बने हुए हैं। उनकी सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।
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दुघर्टना को लेकर जिम्मेदारी तय हो
लोकनीति फाउंडेशन के महासचिव शरद गोयल कहते हैं कि सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से ध्यान न दिए जाने के कारण एक्सप्रेस-वे को लाइफ लाइन की जगह एक्सीडेंट लाइन कहना अधिक उचित होगा। यह स्थिति जिम्मेदारी तय न होने की वजह से उत्पन्न हुई है। जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि यदि सुरक्षात्मक कमियों की वजह से एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना होती है तो इसके लिए एक्सप्रेस-वे रखरखाव कंपनी एवं एनएचएआइ के संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। जितने लोग सुरक्षात्मक कमियों की वजह से मौत के शिकार हुए इसके लिए कौन जिम्मेदार है। प्रतिदिन लोग कहीं न कहीं दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं कौन जिम्मेदार है।
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ऐसा नहीं है कि सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। काफी कार्य किए गए हैं। जहां तक प्रवेश एवं निकास को चौड़ा करने का सवाल है तो इस दिशा में जल्द ही काम शुरू होगा। कहीं-कहीं पर प्रवेश व निकास कैसे एक दिख रहा है, इस बारे में पता किया जाएगा। यह पूरी तरह सही है कि टू-व्हीलर पर रोक नहीं लग पा रही है। इसके लिए पुलिस को भी भूमिका निभानी चाहिए।
- एके शर्मा, निदेशक (प्रोजेक्ट), एनएचएआइ।