श्रद्धा का महासावन : प्राकृतिक सौंदर्य के उल्लास का उत्सव है सावन
हरियाणा में सावन का उल्लास पुराने समय बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है। गांवों में हर जगह झूले लग
हरियाणा में सावन का उल्लास पुराने समय बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है। गांवों में हर जगह झूले लगते हैं। पूरे महीने भगवान शिव की पूजा की जाती है और तीज का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है। तीज जैसे त्योहार हमें अध्यात्म के साथ सांसारिक जीवन को जोड़ने का संदेश देते हैं। हम महिलाएं बारिश की रिमझिम के बीच मेंहदी लगाकर हरी-हरी चूड़ियां, हरी साड़ी पहनकर, श्रंगार करके झूले झूलती हैं। मां पार्वती और शिव के पावन प्रेम का उत्सव मनाती हैं। तीज के पर्व पर पति के दीर्घजीवन की कामना करती हैं।
सावन में भगवान शिव का अभिषेक करने, उन्हें गंगाजल, बेलपत्र, चंदन, धतूरा, भांग, कच्चा दूध, हल्दी, दही आदि चढ़ाने की परंपरा रही है।
भगवान शिव को सबसे प्रिय है अभिषेक। यही वजह कि पूरे महीने शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। भगवान शकर अत्यंत ही सहजता से अपने भक्तों की मनोकामना की पूर्ति करने के लिए तत्पर रहते हैं। भक्तों के कष्टों का निवारण करने में वे अद्वितीय हैं। समुद्र मंथन के समय सभी देवता अमृत के आकांक्षी थे लेकिन भगवान शिव के हिस्से में विष आया। उन्होंने बड़ी सहजता से सारे संसार को समाप्त करने में सक्षम उस विष को अपने कण्ठ में धारण किया और नीलकंठ कहलाए। अभिषेक का शाब्दिक तात्पर्य होता है श्रृंगार करना और शिवपूजन के संदर्भ में इसका तात्पर्य होता है किसी पदार्थ से शिवलिंग को पूर्णत: आच्छादित कर देना। समुद्र मंथन के समय निकला विष ग्रहण करने के कारण भगवान शिव के शरीर का दाह बढ़ गया। उस दाह के शमन के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई। जो आज भी चली आ रही है।
- पुष्पा धनखड़, सामाजिक कार्यकर्ता।