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उबड़ खाबड़ ट्रैक पर कैसे बढ़ेगी स्पीड

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : अगर मिट्टी का 400 मीटर ट्रैक बेहतर मिल जाए तो उस पर भी बेहतर प्रैक्टिस

By Edited By: Published: Tue, 03 May 2016 08:16 PM (IST)Updated: Tue, 03 May 2016 08:16 PM (IST)

जागरण संवाददाता, गुड़गांव :

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अगर मिट्टी का 400 मीटर ट्रैक बेहतर मिल जाए तो उस पर भी बेहतर प्रैक्टिस हो सकती है। लेकिन यहां तो मिट्टी का ट्रैक दौड़ने के लायक नहीं है। ताऊ देवी लाल स्टेडियम में एथलेटिक खिलाड़ियों ने कई बार अपने आप मिट्टी के टै्रक को बेहतर बनाया, लेकिन बार अन्य खेलों के आयोजन ने खिलाड़ियों की मेहनत पर पानी फेर दिया। अब ट्रैक दौड़ने के लायक नहीं है।

मिट्टी का ट्रैक भी बेहतर

खिलाडि़यों का कहना है कि अगर सिंथेटिक ट्रैक नहीं होता है तो मिट्टी का ट्रैक पर भी बेहतर प्रैक्टिस होती है। इसके लिए मिट्टी का कच्चा ग्राउंड शानदार बनाया जा सकता है और बनाया गया था। लेकिन यहां पर अलग-अलग आयोजन होने कारण ट्रैक खराब होता है। इसी कारण अब खिलाड़ी एक बार फिर ट्रैक बनाने को तैयार नहीं है।

हुडा विभाग का बजट

ग्राउंड को बेहतर रखने के लिए हुडा विभाग एक पैसा खर्च नहीं कर रहा। स्टेडियम में क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक के ग्राउंड को खिलाड़ी स्वयं ही बेहतर रखने के लिए काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री की घोषणा

23 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ताऊ देवीलाल स्टेडियम में भारत केसरी कुश्ती दंगल के फाइनल मुकाबले के अवसर पर घोषणा की थी कि इस ग्राउंड पर सिंथेटिक ट्रैक लगाया जाएगा। लेकिन इसकी कोई तय समय सीमा नहीं है कि कब तक लग पाएगा। वैसे भी स्टेडियम हुडा विभाग का है।

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अगर हुडा विभाग मिट्टी का ट्रैक भी बेहतर बना दे तो प्रैक्टिस हो पाएगी। खिलाड़ियों ने कई बार ट्रैक बनाया है लेकिन यहां होने वाले आयोजन में ट्रैक खराब हो जाता है ओर बाद में कोई ठीक नहीं करता।

-राज यादव , एथलेटिक प्रशिक्षक।


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