धींगड़ा आयोग को नहीं मिला रजिस्ट्रार
आदित्य राज, गुड़गांव : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी के जमीन सौदों
आदित्य राज, गुड़गांव : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी के जमीन सौदों की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन धींगड़ा आयोग को अब तक रजिस्ट्रार नहीं मिला। ऐसे में आयोग ने बिना रजिस्ट्रार के ही काम चलाने का फैसला किया है। आयोग ने रजिस्ट्रार का काम सचिव से पूरा कराने का भी निर्णय लिया है। रजिस्ट्रार के लिए आयोग ने कोर्ट को पत्र लिखा था।
आयोग ने जांच में तेजी लाने एवं बारीकी से जांच कराने के लिए दो महीने पहले पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को पत्र लिखा गया था। पत्र में रजिस्ट्रार के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के न्यायाधीश की मांग की गई थी। उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सभी जिला अदालतों में पत्र की कॉपी भेज दी थी। इसके बाद केवल एक न्यायाधीश ने रजिस्ट्रार की भूमिका निभाने की इच्छा जताई, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। इस तरह आयोग को लंबे इंतजार के बाद भी रजिस्ट्रार उपलब्ध नहीं हो सका। इसे देखते हुए आयोग ने अब रजिस्ट्रार के लिए प्रयास करना बंद कर दिया है। अपने स्तर पर आयोग हर स्तर की जांच करेगा। सचिव एवं मार्केटिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक अशोक गर्ग रजिस्ट्रार की भूमिका निभाएंगे।
अधिकारियों से पूछताछ पूरी
गांव शिकोहपुर सहित आसपास के गांवों की जमीन किस प्रकार कालोनाइजरों ने ली? कालोनाइजरों को किस आधार पर लाइसेंस मिला? इसकी जांच के दौरान नगर योजनाकार एवं हुडा के अधिकारियों से पूछताछ लगभग पूरी हो चुकी है। विभागों से पूरी फाइलें पहले ही आयोग ने अपने पास मंगा ली हैं। कालोनाइजरों से भी पूछताछ की जाएगी। पूछताछ को पूरी तरह रिकार्ड किया जाएगा ताकि बाद में मुकरने पर पता चल जाए। आम आदमी भी जाकर कभी भी आयोग के समक्ष गवाही दे सकता है।
अभी सरकार से नहीं मिला है विस्तार
जस्टिस एसएन धींगड़ा आयोग के विस्तार के लिए अभी प्रदेश सरकार ने मंजूरी नहीं दी है। आयोग की तरफ विस्तार के लिए पत्र कई दिन पूर्व ही लिखा जा चुका है। आयोग का मानना है कि जांच का दायरा बढ़ने से समय लग रहा है। इसके लिए कम से कम छह महीने का विस्तार और मिलना चाहिए। बता दें कि राबर्ट वाड्रा की कंपनी ने गांव शिकोहपुर में जमीन की खरीदारी की थी। बाद में उसे ऊंची कीमत पर बेच दी थी। शिकायत है कि कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर लाइसेंस दिया गया था।