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जिला बार एसोसिएशन में चरम पर पहुंची राजनीति

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : जिला बार एसोसिएशन में एक-दूसरे को मात देने की राजनीति चरम पर पहुंचती ज

By Edited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 05:20 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 05:20 PM (IST)
जिला बार एसोसिएशन में चरम पर पहुंची राजनीति

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : जिला बार एसोसिएशन में एक-दूसरे को मात देने की राजनीति चरम पर पहुंचती जा रही है। एसोसिएशन के प्रधान महेंद्र सिंह चौहान ने बार की जनरल बॉडी मीटिंग 11 सितंबर तय कर रखी है। जबकि उपप्रधान नीरज गंडास ने सोमवार 31 अगस्त को मीटिंग बुला रखी है। चौहान ने सोमवार की मीटिंग को पूरी तरह असंवैधानिक करार दिया है, जबकि गंडास का कहना है कि उन्होंने नियमानुसार मीटिंग बुलाई है।

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पिछले वर्ष हुए एसोसिएशन के चुनाव के समय से ही बार में राजनीति चल रही है। महेंद्र सिंह चौहान चौथी बार एसोसिएशन के प्रधान निर्वाचित हुए। चौहान की शख्सियत ऐसी है कि जब भी वे मैदान में उतरे भारी अंतर से जीत हासिल की। विरोधियों ने उन्हें रोकने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मामला डाल दिया था। तर्क दिया गया कि कोई भी अधिवक्ता तीन बार से अधिक एसोसिएशन का प्रधान नहीं बन सकता। मामले में चौहान को स्टे मिल गया। इसके बाद भी दोनों गु्रप के बीच शह-मात का खेल जारी है। हर बार खेल में चौहान विरोधियों पर भारी पड़े। एसोसिएशन का कार्यकाल खत्म हो चुका है। चौहान चाहते हैं कि अब चुनाव तब हो, जब एसोसिएशन में जितने भी फर्जी सदस्य बने हुए हैं, वे हट जाएं। विरोधी गुट चाहता है कि चुनाव समय पर हो जाए। जब तक चुनाव नहीं होता है, तब तक एक कमेटी बना दी जाए, जो एसोसिएशन के कार्यो को देखे। इस बारे में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायधीश एसके मित्तल ने भी निर्देश जारी कर रखा है। निर्देशानुसार चौहान ने 11 सितंबर को जनरल बॉडी की मीटिंग तय कर रखी है, जबकि विरोधी गुट ने 31 अगस्त को ही मीटिंग बुला दी। इसे लेकर दोनों गु्रपों में जमकर राजनीति चल रही है। उपप्रधान नीरज गंडास का कहना है कि सोमवार को आयोजित होने वाली मीटिंग नियमानुसार है। इस बारे में सभी को सूचना दी गई है। इधर, एसोसिएशन के प्रधान महेंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि बिना उन्हें सूचना दिए या उनसे अनुमति लिए मीटिंग नहीं बुलाई जा सकती। इस कारण सोमवार की मीटिंग पूरी तरह असंवैधानिक है। मीटिंग यदि होती है और कुछ भी निर्णय होता है, उसका कोई मतलब नहीं। कुछ अधिवक्ता बार की गरिमा को गिरा रहे हैं।


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