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कॉलेजों में विकसित नहीं हो सके संसाधन

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : कॉलेजों में संसाधनों को विकास अभी तक नहीं हो सका है। इतने बड़े शहर के ती

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 06:14 PM (IST)
कॉलेजों में विकसित नहीं हो सके संसाधन

जागरण संवाददाता, गुड़गांव :

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कॉलेजों में संसाधनों को विकास अभी तक नहीं हो सका है। इतने बड़े शहर के तीन राजकीय महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ही पता है कि यहां की उच्चतर शिक्षा की स्थिति क्या है। बारहवीं तक टॉपर रहे विद्यार्थी यहां पर आकर जीरो से दो अंक प्राप्त करते हैं। ऐसे में गलती विद्यार्थियों की दी जाती है। असल में कॉलेजों के पास न तो संसाधन हैं और न ही प्राध्यापक। ऐसे में पठन पाठन हो भी तो कैसे। प्रोफेशनल कोर्सो को पढ़ाने के लिए सामान्य कोर्सो के प्राध्यापकों को लगा दिया जाता है तो आधे से अधिक प्राध्यापक नियमित नहीं हैं। कॉलेजों में न तो लैब हैं और न ही प्राध्यापक। सरकार कॉलेजों के विकास की बात करती है लेकिन विकास किसी स्तर पर नजर नहीं आता। हाल ही में कॉलेजों को दस करोड़ का बजट संसाधनों के लिए देने की घोषणा हुई थी लेकिन फिलहाल उसका भी कहीं कोई असर नजर नहीं आ रहा है।

सेक्टर-14 स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. अशोक दिवाकर के मुताबिक संसाधनों की कमी तो थी लेकिन अब सरकार प्रयास कर रही है। अब सुविधाएं बहाल होने को हैं। उन्होंने बताया कि सेक्टर-14 स्थित कॉलेज में साइंस ब्लॉक बनाया जा रहा है जिसमें कि छह बड़े हॉल बनेगा। सेमिनार व स्टोर रूम आदि बनेंगे। इसके लिए सामान पहुंच चुका है। ऐसे में विद्यार्थियों को साइंस की लैब आदि संबंधी समस्याओं का निदान जल्द हो सकेगा। रेलवे रोड स्थित द्रोणाचार्य कॉलेजों में आठ कमरे अध्यापन कक्ष के रूप में बनाए जाने हैं। इसके लिए भी सामान आदि पहुंचने को है। कॉलेजों में इससे विद्यार्थियों को कक्षाएं मिल सकेंगी व उन्हें पार्क में बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा। इसके अलावा जिला पुस्तकालय में भी सामान पहुंच रहा है।

विद्यार्थियों की पीड़ा यह है कि इन कामों में इतना समय लग रहा है कि उनका पूरा वर्ष लग जाएगा। विद्यार्थियों को लग रहा है कि उन्हें फिलहाल उन्हीं परिस्थितियों में पढ़ाई करनी होगी जिसमें पहले विद्यार्थी कर रहे थे। कॉलेजों में प्राध्यापकों की भर्ती पर भी अभी तक कुछ नहीं हो सका है। ऐसे में कॉलेजों को प्राध्यापकों की जगह रिसोर्स परसन भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं।


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