टूटे हेलमेट से जिंदगी दांव पर
अनिल भारद्वाज, गुड़गांव आखिरकार वहीं हुआ, जिसकी आशंका दैनिक जागरण ने पहले ही जता दी थी। अच्छे हेलमे
अनिल भारद्वाज, गुड़गांव
आखिरकार वहीं हुआ, जिसकी आशंका दैनिक जागरण ने पहले ही जता दी थी। अच्छे हेलमेट के अभाव में टूटे हेलमेट से अभ्यास कर रहे हॉकी गोलकीपर रोहित की जान जाते-जाते बची। ग्राउंड-डी के अंदर से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाला तेज शॉट वाला गेंद रोकते समय रोहित के हेल्मेट में लगी। चूंकि हेल्मेट टूटी थी इसलिए कील उसकी आंख के पास जा लगी। रोहित की भौंह फट गई, जिसकी सर्जरी करते वक्त आठ टांके लगाने पड़े।
हरियाणा में करोड़ों की इनामी राशि के मोह में दूसरे प्रदेश के खिलाड़ी भी यहां से खेलना चाहते हैं लेकिन यहां के खिलाड़ियों को खेलने का सामान तक समय पर नहीं मिल रहा है। घोषणाएं व दावे होते हैं, लेकिन अमल नहीं होता। गुड़गांव में हॉकी खिलाडि़यों के पास खेलने के समान का अभाव आज भी है। नेहरू स्टेडियम में हॉकी गोलकीपर के पास अच्छा किट होता तो शायद यह घटना नहीं हुई होती। रोहित 130-150 प्रति घंटे की रफ्तार वाले शॉट रोकने में सक्षम है।
दैनिक जागरण ने खिलाड़ियों की पीड़ा को देखते हुए 16 मई के अंक में खेल उपकरण के अभाव की खबर प्रमुखता से छापी थी। उस वक्त खेल विभाग के अधिकारियों ने बेहतर किट देने का वादा भी किया था लेकिन बाद में इस पर अमल नहीं हुआ।
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चोट लगने के बाद भी कर रहा अभ्यास
रोहित में इतना साहस है कि आंख के पास टांके लगने के बाद भी वह शनिवार को मैदान में फिर पहुंच गया। साथी खिलाड़ी उसके उत्साह की सराहना करते दिखे।
'फटे हुए जूते से खिलाड़ी खेलता है तो चल जाएगा। लेकिन गोलकीपर इस तरह टूटे हेलमेट व फटी हुई कीट में खेलता है तो जिंदगी और मौत में ज्यादा दूरी नहीं होती।'
-एमके कौशिक, पूर्व ओलंपियन।