रैगिंग बंद होने के लिए किया जाएगा जागरूक
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : कालेजों में रैगिंग को लेकर हर साल कमेटियों का गठन होता है। इस बार वि
जागरण संवाददाता, गुड़गांव :
कालेजों में रैगिंग को लेकर हर साल कमेटियों का गठन होता है। इस बार विभाग व विश्वविद्यालय दोनों रैगिंग को लेकर सख्त हो गए हैं। ऐसे में अब कालेजों में कक्षाएं शुरू होते ही रैगिंग को लेकर भी जागरूकता फैलाई जाएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक रैगिंग एक गलत सोच का नतीजा है जो कि अक्सर विद्यार्थी नए विद्यार्थियों को परेशान करने के लिए रखते हैं व चोरी छुपे रैगिंग करना चाहते हैं। ऐसे में रैगिंग के विषय में विस्तृत जानकारी देने तथा विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाने के लिए कालेजों में विशेष कक्षाएं भी लगाई जानी है, जिसमें विद्यार्थियों को रैगिंग के प्रकार तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के तरीके बताए जाएंगे।
सेक्टर-14 स्थित कालेज की प्राचार्य इंदू जैन का कहना है कि रैगिंग दूषित दिमाग की उपज होती है तथा ऐसे विद्यार्थियों को समझाने के लिए अन्य विद्यार्थियों को जागरूक किया जाएगा ताकि वे अपने अधिकारों के बारे में जान सकें तथा अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठा सकें।
आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, किसी को अपमानित करने वाली बात लिखना, कोई भी ऐसा काम जिससे किसी को परेशानी हो, किसी को टीज करना, किसी के प्रति गुस्सा दिखाना, शरीरिक व मानसिक प्रताड़ना, अनुशासनहीन होकर अभद्र तरीके से जूनियर विद्यार्थियों से व्यवहार करना, मनोवैज्ञानिक तरीके से किसी को गलत करने के लिए प्रेरित करना, अपना खौफ दिखाकर कोई काम कराना, जूनियर्स से शर्मसार करने वाले काम कराना आदि सभी चीजें रैगिंग के दायरे में आती हैं।
रैगिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी है। विश्वविद्यालय व शिक्षा विभाग के निर्देशों के मुताबिक रैगिंग करने वाले को संस्थान से निकाला जा सकता है, संस्थान और क्लास से निलंबन, सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाने के साथ-साथ जुर्माना, स्कालरशिप व अन्य लाभ छीने जा सकते हैं, संस्थान में किसी भी प्रतियोगिता आदि में हिस्सा लेने पर रोक, परिणाम पर रोक, होस्टल से निलंबन, एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है तथा रैगिंग में शामिल किसी एक व्यक्ति की पहचान न हो पाने की स्थिति में सामूहिक रूप से दंडित भी किया जा सकता है।