रामलाल के लेटर बम ने उड़ाई नींद
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : पिछली सरकार के समय से रामलाल नामक शख्श अपने लेटर बम के जरिये कई लोगों
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : पिछली सरकार के समय से रामलाल नामक शख्श अपने लेटर बम के जरिये कई लोगों को निशाना बना चुके हैं। हालांकि पिछली सरकार ने इसे बहुत अधिक गंभीरता से नहीं लिया लेकिन सत्ता में आई भाजपा सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी अंदरखाने जांच भी शुरू करा दी है। रामलाल के लेटर बम ने अधिकारियों से लेकर नेताओं तक की नींद उड़ा दी है। निगम सचिव एवं संयुक्त आयुक्त वाईएस गुप्ता ने पहली बार रामलाल के लेटर बम को सार्वजनिक करते हुए उसकी प्रतियां सभी पार्षदों के पास भिजवा दी हैं।
पिछले तीन साल से रामलाल, नगर निगम में चल रही गड़बड़ियों को लेकर गुड़गांव से लेकर दिल्ली एवं चंडीगढ़ तक पत्र लिख रहा है। पत्र में वह मेयर टीम, सांसद से लेकर नगर निगम अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगा रहा है। किसे कितना-कितना कमीशन पहुंचता है और किन कार्यो में कहां पर गड़बड़ी की आशंका है, उसका जिक्र हर पत्र में किया है। इन पत्रों में निगम के पूर्व अधिकारी की साउथ सिटी में बनी करोड़ों रुपयों की कीमत की आलीशान कोठी से लेकर देश-विदेश में होटल आदि की जानकारी है।
अभी तक पत्र विजिलेंस, सीएम, पीएम, लोकायुक्त, स्थानीय निकाय मंत्री से लेकर अधिकारियों की टेबल तक ही सीमित थे। बृहस्पतिवार को निगम सचिव एवं संयुक्त आयुक्त वाईएस गुप्ता ने पिछली सदन की बैठक के मिनिट्स की जानकारी के साथ रामलाल द्वारा भेजे गए पत्रों की प्रतियां कराकर उसे सभी पार्षदों के पास भेज सार्वजनिक कर दिया। हालांकि यह तय है कि लेटर बम ने सभी की नींद उड़ा दी है।
वर्जन
''निगम के पूर्व अधिकारी आज भी वर्षो से यहीं पर हैं। कुछ की नई सरकार ने रवानगी कर दी है। इन पुराने अधिकारियों के बीच पहले भी प्रतिस्पर्धा चलती रही है। इसीलिए अब जो अधिकारी यहां हैं वह अपने विरोधी को मात देने के लिए कहीं रामलाल के पत्रों को सार्वजनिक तो नहीं कर रहे हैं। यदि कुछ सच्चाई है, तो इसकी जांच की जानी चाहिए। पत्रों को सार्वजनिक कर सभी को बदनाम करने का कोई तुक नहीं है।''
-रमा रानी राठी, पार्षद
''रामलाल की ओट में कुछ निगम के अधिकारी तमाशा देखना चाहते हैं। इसीलिए वह पत्रों को सार्वजनिक कर रहे हैं। हालांकि इससे निगम की छवि भी धूमिल हो रही है। जबकि इनकी जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने पर विचार करना चाहिए।''
-सुंदर सिंह, पार्षद