Move to Jagran APP

लीड..ठेका व बार संचालकों पर नहीं लग रहा अंकुश

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : आबकारी विभाग में उपायुक्त की जिम्मेदारी संभालना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 06:01 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 06:01 PM (IST)
लीड..ठेका व बार संचालकों पर नहीं लग रहा अंकुश

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : आबकारी विभाग में उपायुक्त की जिम्मेदारी संभालना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य बनता जा रहा है। पिछले डेढ़ साल के दौरान अधिकांश अधिकारी अपनी जिम्मेदारी संभालने में नाकाम साबित हुए हैं। न ही शराब ठेकों के संचालकों पर अंकुश लग पा रहा है और न ही पब एवं बार संचालकों के पर। इससे साइबर सिटी की बदनामी हो रही है। इससे चिंतित प्रदेश सरकार ने विभाग की छवि बेहतर करने के लिए आबकारी उपायुक्त डा. सुनील कुमार का तबादला कर एक बार फिर से अरुणा सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है। पहले भी सिंह गुड़गांव में आबकारी उपायुक्त की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।

loksabha election banner

पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से आबकारी विभाग गुड़गांव में व्यवस्था को पटरी पर लाना प्रदेश सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। अवैध तरीके से शराब ठेकों के संचालन के मामले में प्रदेश सरकार कुछ महीने पहले तत्कालीन विभागीय उपायुक्त अनिल कादियान सहित सात अधिकारियों के ऊपर गाज गिरा चुकी है। इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। डेढ़ साल के दौरान कुछ महीने के लिए ही व्यवस्था पटरी पर आती दिखाई दी जब कराधान उपायुक्त (पूर्वी) केएस मलिक को आबकारी शाखा की जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंपी गई थी। इसके बाद धर्मबीर दहिया को आबकारी उपायुक्त की जिम्मेदारी सौंपी गई। इनका भी कुछ ही महीने में तबादला का दिया गया। इनके बाद डा. सुनील कुमार को आबकारी उपायुक्त को जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन किसी भी स्तर पर सफलता नहीं मिली। विधानसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में अवैध रूप से शराब के मामलों का खुलासा हुआ। सुभाष चौक के नजदीक पुलिस ने अवैध रूप से चल रहे शराब ठेके का भंडाफोड़ किया। हर सप्ताह अवैध रूप से कारोबार के औसतन तीन से चार मामले पुलिस की पकड़ में आते हैं। खुले में शराब पीने वालों पर लगाम नहीं लग पा रहा है। कुछ दिन पूर्व दो-तीन दिनों तक पुलिस द्वारा चलाए गए अभियान के दौरान 50 से अधिक खुले में शराब पीते पकड़े गए थे। पब एवं बार की वजह से शहर की बदनामी बढ़ती जा रही है। कुछ दिन पूर्व बच्चों की पार्टी पब एवं बार में आयोजित होने का मामला सामने आया। मौके पर पहुंचे आबकारी अधिकारियों ने गैर जिम्मेदाराना तर्क दिया था कि जब बच्चे को पार्टी में शराब नहीं परोसी जा रही हो फिर कैसे कार्रवाई करें जबकि 25 साल से कम उम्र के लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। इस तरह पिछले डेढ़ साल के दौरान कुछ महीने को छोड़कर आबकारी विभाग में व्यवस्था पटरी से बाहर ही दिखाई दी। अब प्रदेश सरकार ने ईमानदार छवि की अधिकारी अरुणा सिंह को आबकारी उपायुक्त की जिम्मेदारी सौंपी है। इनके सामने विभाग में व्यवस्था को पटरी पर लाने की कठिन चुनौती है। दैनिक जागरण से बातचीत में अरुणा सिंह ने कहा कि वह गुड़गांव में काम कर चुकी हैं इसलिए व्यवस्था को संभालने में अधिक परेशानी नहीं आएगी। सबसे पहले अपने अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पूरी जिम्मेदारी से काम करने के लिए प्रेरित करना होगा। जब तक अधीनस्थ अधिकारी व कर्मचारी बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तब तक विभागीय उपायुक्त बेहतर परिणाम नहीं दे सकता। उपायुक्त का काम मानिटरिंग करना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.