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मुख्यमंत्री जी गुड़गांव मांगे 'मोर'

28 जीयूआर 11 -गुड़गांव की गिनती सर्वाधिक राजस्व देने वाले जिले के रूप में होती है नवीन गौतम, गुड़

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 06:41 PM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 06:41 PM (IST)

28 जीयूआर 11

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-गुड़गांव की गिनती सर्वाधिक राजस्व देने वाले जिले के रूप में होती है

नवीन गौतम, गुड़गांव: मुख्यमंत्री बनने के बाद मनोहर लाल खट्टर शनिवार को पहली बार गुड़गांव आ रहे हैं। उन्हें रिकार्ड मतों से जिताकर न केवल गुड़गांव से विधायक दिया अपितु बादशाहपुर, पटौदी और सोहना की सीटें भी भाजपा की झोली में मतदाताओं ने डाल दीं। गुड़गांव की गिनती प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले जिले के रूप में होती है, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यह राजस्व मुद्दा भी बना था। चर्चा रही और हकीकत भी है सर्वाधिक राजस्व के बावजूद सर्वाधिक उपेक्षा गुड़गांव जिले की, खासतौर से इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में जो पूरी तरह से ध्वस्त है। चमचमाती इमारत वाले क्षेत्र में हल्की सी बारिश पूरे इलाके में बाढ़ जैसी हालत पैदा कर देती है। इस स्थिति से मुख्यमंत्री भी अच्छी तरह से वाकिफ हैं। चुनावी सभाओं को सम्बोधित करने के लिए वह भी यहां कई बार आ चुके हैं। सामाजिक कार्यक्रमों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं, ऐसे में जनता की उम्मीदें बढ़ गई। मांग बहुत हैं लेकिन जनता के इस एजेंडे को मुख्यमंत्री के समक्ष संक्षेप में रखने की कोशिश की है दैनिक जागरण ने।

पुराने गुड़गांव को चाहिए मेट्रो रेल

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गुड़गांव की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा पुराने शहर में रहता है। यहां वर्षो से मेट्रो रेल लाए जाने की मांग उठती रही है। कांग्रेस के शासन काल के दौरान भी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने वादा किया था कि दिल्ली के द्वारका से मेट्रो को पुराने गुड़गांव तक लाएंगे और नए गुड़गांव में आई मेट्रो को मानेसर तक ले जाने की बात कही लेकिन वादा छलावा बनकर रह गया। रक्षा राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान यह वायदे दोहराए तो विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों ने भी मेट्रो को पुराने गुड़गांव और मानेसर तक लाने का वादा किया। हालांकि गुड़गांव के विधायक उमेश अग्रवाल कह रहे हैं कि उन्होंने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है और जल्द ही इसका नतीजा सामने होगा। विधायक तो दावा कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री से भी यहां की जनता ठोस आश्वासन इस मसले पर चाहती है।

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मसला नौ सौ मीटर का

आयुध डिपो के इर्द गिर्द नौ सौ मीटर के दायरे में ऐसे वक्त पर निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई जब वहां बड़ी तादाद में अवैध निर्माण हो चुके थे। हजारों की तादाद में लोग यहां रहते हैं लेकिन हमेशा तलवार लटकी रहती है कि बुलडोजर कब आ जाए और मूल भूत सुविधाएं भी यहां मौजूद नहीं हैं। विधायक उमेश अग्रवाल चुनाव से पहले इसे मुद्दा बनाते रहे तो सांसद राव इन्द्रजीत ने भी इस मसले को कई बार उठाया लेकिन अभी तक यह मामला ज्यों का त्यों अटका हुआ है। हालांकि मुख्यमंत्री ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से इस पर रिपोर्ट तलब की और रास्ता सुझाने के लिए कहा है लेकिन जनता इसका जल्द समाधान चाहती है।

हटाओ खेड़की दौला टोल प्लाजा

सरहौल टोल प्लाजा हटा तो खेड़की दौला टोल प्लाजा को हटाने की मांग तूल पकड़ गई जो जायज भी है क्यों कि प्रतिदिन हर वक्त लगने वाली वाहनों की लंबी कतार वाहन चालकों के लिए मुसीबत बन गई है, यहां से गुजरने वाले हजारों लोगों का अधिकांश समय तो इस टोल के जाम से जूझने में जाया हो जाता है।

बदहाल यातायात व्यवस्था

गुड़गांव शहर हो या बादशाहपुर जैसे कस्बे या सोहना-तावडू पहाड़ी का रास्ता, बदहाल यातायात व्यवस्था यहां के लोगों के लिए मुसीबत बन चुकी है। सड़क एवं फुटपाथ पर अतिक्रमण इसके सुचारु संचालन में बहुत बड़ा बाधक है और अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं वह नेता जिनके लिए यह वोट बैंक तो अधिकारियों के लिए अतिरिक्त कमाई का माध्यम बन गया है। अतिक्रमण से मुक्ति बिना सुचारु यातायात की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

चंडीगढ़ में न अटके फाइल

पिछले दस साल का अनुभव रहा है कि योजनाएं शहर के लिए कितनी ही महत्वपूर्ण हों और उन्हें बनाने में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने इमानदारी दिखाई हो लेकिन हम क्या करें फाइल चंडीगढ़ में जाकर अटक गई, यह जुमला पिछले दस साल से यहां की जनता ने खूब सुना है और यही वजह है कि अंडर पास, फ्लाइ ओवर, फुट ओवर ब्रिज, मल्टी स्टोरी पार्किग जैसी योजनाओं से यहां के लोग आज भी वंचित हैं। तीन स्कूलों को अपग्रेड किए जाने के स्थानीय विधायक उमेश अग्रवाल के प्रयासों को उसी पुरानी शैली में बाबू मानसिकता के अधिकारियों ने रोकने का प्रयास किया। पर विधायक के निजी प्रयास ने फाइल तो मुख्यमंत्री की टेबल पर पहुंचा दी लेकिन सवाल यह है कि क्या हर काम के लिए जनप्रतिनिधियों को ही फाइल लेकर मुख्यमंत्री के दरबार में हाजिर होना होगा, जरूरी है कि बाबू टाइप के अधिकारी पुरानी मानसिकता से ऊपर उठकर फाइलों पर धूल न जमने दें।

इधर भी देना होगा ध्यान

-गुड़गांव विकास प्राधिकरण का गठन।

-खेती के लिए पानी का समान बंटवारा।

-सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगे अंकुश।

-सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।

-शिक्षा के स्तर में सुधार, कई इलाकों में आज भी स्वच्छ पेयजल का अभाव।

-गर्मी तो गर्मी सर्दी में भी गुल रहती है बिजली।

-मीट मार्केट एवं स्लाटर हाउस।

-कचरा एवं मलबा निस्तारण प्लांट।

-पुरानी दिल्ली रोड एवं एमजी रोड को सिक्स लेन करने।

-कालोनाइजर एवं सेक्टर के रखरखाव की जिम्मेदारी एक एजेंसी को देना।

-भू जल का दुरुपयोग।


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