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'वेदों के अध्ययन से हो सकती है प्रभु की प्रप्ति'

जागरण संवाददाता, पुन्हाना : वेदों में प्रकृति का संपूर्ण व सच्चा ज्ञान समाहित है। वेदों के अध्ययन से

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 08:07 PM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 08:07 PM (IST)
'वेदों के अध्ययन से हो 
सकती है प्रभु की प्रप्ति'

जागरण संवाददाता, पुन्हाना : वेदों में प्रकृति का संपूर्ण व सच्चा ज्ञान समाहित है। वेदों के अध्ययन से मनुष्य परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है। वेद सभी सत्य विद्याओं की पुस्तक है। इसीलिए वेदों का पढ़ना और पढ़ाना चाहिए।

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उक्त प्रवचन आर्य समाज सत्य सदन द्वारा कस्बे की ला.लक्ष्मी नारायण मंगला धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय दिव्य सतसंग कार्यक्रम के समापन अवसर पर विश्व विख्यात वैदिक प्रवचक आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए दिए। कार्यक्रम के समापन अवसर पर मौजूद सैकड़ों लोगों की भीड़ ने आचार्य व अन्य भजन गायकों का तालिया बजाकर स्वागत किया। इस अवसर पर आर्य समाज के पदाधिकारियों द्वारा सभी का सम्मान स्मृति चिन्ह व पटका भेंट कर किया गया। आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने लोगों को उपदेश देते हुए कहा कि परमात्मा की पूजा करते समय केवल परमात्मा से लेना चाहिए। उसे देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। परमात्मा से हमेशा निकटता बढ़ानी चाहिए। निकटता से ही मनुष्य ब्रह्मा को प्राप्त कर सकता है। योग का अर्थ है जोड़ना अर्थात मन को परमेश्वर से मिलाना। उन्होंने बताया कि मनुष्य अज्ञानवश परमेश्वर को इधर-उधर ढूंढ़ता रहता है। परतु उसे नहीं पता कि परमेश्वर तो उसके भीतर ही विराजमान है। परमात्मा को खोजने की नहीं, अपितु महसूस करने की आवश्यकता है। अगर मनुष्य का मन साफ है तो उसके अंदर उसे ईश्वर का आभास हो जाएगा। इसलिए मनुष्य को स्वाध्याय कर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। इससे पहले कुलदीप आर्य भजनों के माध्यम से पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र का वर्णन करते हुए श्रोताओं का मन मोह लिया।

इस अवसर आर्यवेद प्रचार मंडल मेवात के अध्यक्ष दुलीचंद वाजपेयी, मरोड़ा गौशाला के संचालक वेद प्रकाश परमार्थी, आर्य समाज सत्य सदन के संरक्षक नरेंद्र डेयरी वाले, प्रधान सुरेंद्र आर्य, वीरसिंह आर्य, मनोज कुमार, जितेंद्र गोयल, पवन बंसल सहित सैकड़ों महिला व पुरुष मौजूद थे।


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