विश्व पटल पर छाई साइबर सिटी
योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव : संयुक्त पंजाब से एक नवंबर 1966 को अलग होकर हरियाणा राज्य वजूद में आ
योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव : संयुक्त पंजाब से एक नवंबर 1966 को अलग होकर हरियाणा राज्य वजूद में आया। इन 48 वर्षो में प्रदेश ने काफी तरक्की की। गुड़गांव पिछले डेढ़ दशक से विश्व के मानचित्र पर छाया हुआ है। इसे कहीं साइबर सिटी तो कहीं मिलेनियम सिटी के नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश के कुल राजस्व में 65 फीसद हिस्सा अकेले गुड़गांव से ही जाता है। बहुमंजिला इमारतें, मॉल्स संस्कृति, दिल्ली-जयपुर को जोड़ने वाला एक्सप्रेस वे, मेट्रो एवं रैपिड मेट्रो शहर की शान हैं। तीन हजार से अधिक इंडस्ट्रीज, निजी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के अलावा किंग्डम ऑफ ड्रिम के कारण सांस्कृतिक प्रेमियों की भीड़ भी यहां उमड़ती है। प्रदेश के अन्य शहरों के मुकाबले गुड़गांव ने हर क्षेत्र में पूरी रफ्तार से तरक्की की है। यह अलग बात है कि पिछले कुछ वर्षो में इस शहर की उपेक्षा के कारण यहां पर कई समस्याएं विकराल रूप ले चुकी हैं। हालांकि प्रदेश में नई सरकार के साथ नए विधायक व मंत्री अब शहर का नए सिरे से विकास करने का खाका तैयार करने में जुट गए हैं। इस शहर की तरक्की के लिए सरकार से अधिक निजी कालोनाइजर, डेवलपर, कारपोरेट कंपनियां, इंडस्ट्रीज का अधिक योगदान है। कल तक जहां खेती होती थी, वहां आज बहुमंजिली इमारतें तन चुकी हैं। संकरी गलियां व रोड अब हाइवे में तब्दील हो चुकी हैं। यहां तीन हजार से अधिक छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज, कारपोरेट ऑफिस, विश्व प्रसिद्ध आधुनिक अस्पताल, स्कूल, कॉलेजों ने शहर की पहचान ही बदल दी है। बड़ी संख्या में दिल्ली, फरीदाबाद, जयपुर जैसे शहरों में काम करने वाले लोग अपने आशियाना गुड़गांव में ही बनाना पसंद करते हैं। दिल्ली अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे का पूरा फायदा भी साइबर सिटी को मिल रहा है। मॉल्स कल्चर के कारण यह पूरे प्रदेश में अलग ही पहचान बना चुका है।
रैपिड मेट्रो की सौगात
पूरे देश में साइबर सिटी ही एक मात्र ऐसा शहर है, जहां रैपिड मेट्रो बीच शहर में दौड़ती है। अभी पहला चरण पूरा हुआ और दूसरे पर काम चल रहा है। जाम एवं वाहन पार्किंग की कमी के कारण कारपोरेट कंपनियों के स्टाफ के लिए यह एक बहुत बड़ी सौगात है।
सैलानियों को खींचता है शहर किंग्डम ऑफ ड्रिम में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देश ही नहीं, बल्कि विश्व के विभिन्न शहरों के लोग शिरकत करते हैं। हालीवुड के साथ ही बालीवुड के सितारे भी यहां आने का कोई मौका नहीं चूकते हैं।
आर्थिक राजधानी
शहर में तीन हजार के करीब इंडस्ट्रीज, सैकड़ों छोटे-बड़े होटल, दो दर्जन से अधिक मॉल्स, नामी निजी हास्पिटल, स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी, मल्टीफ्लेक्स, पब-बार के कारण शहर पूरे प्रदेश से अधिक राजस्व देता है। अनुमान के अनुसार यह पूरे प्रदेश का करीब 65 प्रतिशत राजस्व अकेले देता है।