बिजली निगम का ड्रीम प्रोजेक्ट में देरी का पेंच
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम का ड्रीम प्रोजेक्ट समय से पूरा हो पाने पर
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम का ड्रीम प्रोजेक्ट समय से पूरा हो पाने पर शक पैदा हो गया है। ये प्रोजेक्ट अगले साल जनवरी में पूरा होना है, लेकिन काम अब तक केवल आधा ही हो पाया है। इससे फिर निगम की लचर कार्यशैली उजागर हो रही है।
चार-पांच वर्ष पूर्व साइबर सिटी की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए विश्व बैंक के माध्यम से योजना बनाई गई थी। इसके तहत 110 करोड़ रुपये की राशि खर्च होनी है। योजना वर्ष 2013 में ही पूरी होनी थी, लेकिन लेटलतीफी की वजह से ठेकेदार का ठेका रद्द कर दिया गया। अब जिस ठेकेदार को काम दिया गया है, उसका काम भी सही नहीं दिख रहा है। ऐसी स्थिति में जनवरी 2015 तक काम पूरा होना कहीं से भी संभव नहीं दिख रहा है। यदि दिन रात काम चले फिर अप्रैल से मई तक जाकर योजना पूरी होगी। योजना के तहत जहां लगभग 100 नए फीडर बनाए जाने थे वहीं 5000 से अधिक नए ट्रांसफार्मर 60 फीसद ही काम हुआ है। कितने नए फीडर बन गए, कितने ट्रांसफार्मर कहां-कहां लगाए गए हैं, इसकी सही रिपोर्ट तक अधिकारी देने को तैयार नहीं। इस लेटलतीफी का खामियाजा अगली गर्मी में शहर के लाखों लोगों को भुगतना पड़ेगा। बिजली रहेगी पर पसीना नहीं सुखेगा।
चेयरमैन की सक्रियता का असर नहीं
बिजली निगमों के चेयरमैन देवेंद्र सिंह की सक्रियता कोई असर नहीं दिख रहा है। वे हर महीने कमोवेश तीन से चार दिन गुड़गांव में होते हैं। अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं लेकिन फिर अधिकारी उनके नक्शे कदम पर चलने को तैयार नहीं। यही वजह है कि विश्व बैंक जैसा ड्रीम प्रोजेक्ट भी निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाएगा।
योजनाओं पर दिया जाएगा ध्यान
''योजनाएं समय पर पूरा हो, इसके लिए ध्यान दिया जा रहा है। यह सही है कि कई योजनाएं समय पर पूरा न होने से उसका विशेष लाभ नहीं दिखाई देता। जहां तक सिस्टम की मजबूती का सवाल है तो रूटीन में भी अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं। जहां भी एबी केबल को बदलने की आवश्यकता है, केबलें बदली जा रही हैं।''
-अरुण वर्मा, प्रबंध निदेशक, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम।