जाट मतदाताओं को साधने में जुटी इनेलो
जागरण संवाददाता, नूंह :
भाजपा-हजकां गठबंधन टूटते ही इनेलो के हौसले बुलंद होने लगे हैं। पार्टी गैर जाट मतदाताओं के बंटवारे की उम्मीद के साथ ही जाट मतदाताओं को साधने में जुट गई है। पार्टी ने इसकी कमान अपने पुराने सिपाहियों और रणनीतिकारों को सौंप दी है।
कांग्रेस प्रदेश में गैर जाट की राजनीति करती आई है। पिछले दस सालों से पार्टी सीधे तौर पर गैर जाट के साथ जाट राजनीति को भी बढ़ावा दे रही है। भाजपा-हजकां गठबंधन के साथ ही गैर जाट वोटों के धुव्रीकरण की राजनीति आरंभ हो गई थी। भाजपा और हजकां दोनों ही गैर जाट राजनीति के पक्षधर हैं। अब चूंकि गठबंधन टूट चुका है, ऐसे में गैर जाट वोट का बंटवारा कई हिस्सों में होगा। भाजपा के साथ हजकां, बसपा, के साथ विनोद शर्मा की जनचेतना पार्टी, हलोपा और कांग्रेस भी इन वोटों की दावेदार है। भाजपा और कांग्रेस के साथ कांग्रेस और हजकां, बसपा, हलोपा, जनचेतना पार्टी के अलावा दूसरे छोटे दल भी गैर जाट मतदाताओं के सहारे अपनी नैया पार लगाने की जुगत लगा रहे हैं। इन वोटों के इसी बंटवारे को लेकर इनेलो पूरी तरह सतर्क हो गई है और इसका सीधा फायदा लेने के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर गई है।
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि अगर गठबंधन रहता तो भाजपा और हजकां के हिस्से की गैर जाट वोट एक जगह मिलती। अब ये दो हिस्सों में बंटेगी। इसके अलावा इन वोटों पर अब बसपा और कांग्रेस की निगाह भी तैर गई है। ऐसे में इनेलो अपने परंपरागत जाट वोट बैंक को साधने का प्रयास कर रही है। जाट वोट बैंक के सहारे सत्ता के सिंहासन पर पहुंची इनेलो इस फार्मूले पर एक बार फिर खुद को साबित करना चाहती है। मेवात की ही बात करें तो पिछले दो दिनों से यहां इनेलो प्रत्याशी जाकिर हुसैन ने जाट वोट बैंक में सेंधमारी के लिए ऐसे गांवों का दौरा आरंभ कर दिया है जो जाट बाहुल्य हैं। हालांकि जाकिर सबको साथ लेकर चलने की बात कह रहे हैं, लेकिन दो दिन की गतिविधियों से कहीं न कहीं पार्टी की मनोदशा इस बारे में स्पष्ट दिखाई दे रही है। राजनीति के जानकार राकेश देशवाल कहते हैं कि पार्टी का यह कदम ऐसे मौके पर सही भी कहा जा सकता है। लंबे अरसे बाद पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक को एकजुट कर अपनी बढ़त बनाने में कामयाब हो सकती है।