चार श्रमिकों के मौत मामले में नहीं हुई कार्रवाई
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : सेक्टर 90 पानी टंकी हादसा मामले में तीन महीने बाद भी कार्रवाई नहीं हो पाई है। यह स्थिति तब है, जबकि सैंपल रिपोर्ट से खुलासा हो चुका है कि टंकी के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस के इस लापरवाह रवैये से श्रमिकों में रोष बढ़ता जा रहा है।
तीन महीने पहले सेक्टर 90 स्थित एक अस्थायी श्रमिक कालोनी में पानी की टंकी फट गई थी। इससे चार श्रमिकों की मौत हो गई थी। एक गंभीर रूप से घायल हो गया था। घटना के बाद काफी हाय-तौबा मच गई थी। लग रहा था कि मामले के लिए जिम्मेदार कंस्ट्रक्शन कंपनी पर गाज गिरेगी। घटना के बाद मामले की हर स्तर पर जांच भी की गई। इसके लिए पीडब्ल्यूडी एवं औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य निदेशालय के अधिकारियों की संयुक्त जांच टीम भी बनाई गई। बाद में टंकी में इस्तेमाल निर्माण सामग्रियों के सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए। सभी सैंपल फेल हो गए। इसके बाद भी तय हो गया था कि अब कार्रवाई होगी, लेकिन ढाक के तीन पात। सैंपल रिपोर्ट सामने आने के एक महीने बाद भी मामला जस का तस। निर्माण क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों का कहना है कि उनकी जान की कोई कीमत नहीं समझी जा रही है। कई वर्ष पूर्व मानेसर में 10 श्रमिकों की मौत पानी की टंकी फटने से हुई थी, उसमें भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। सेक्टर 90 में भी लापरवाही की वजह से चार श्रमिकों की मौत हुई। यह उजागर भी हो चुका है। इसके बाद भी कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि श्रमिकों की जान की कोई कीमत नहीं। श्रमिक नेता हंसराज कहते हैं कि निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश श्रमिक स्थायी नहीं रहते हैं, इसलिए वे अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकते। इसका फायदा कंपनियां उठा रही हैं। काफी मामले हैं जो बाहर आ ही नहीं पाते हैं। घटना होते ही प्रबंधन के लोग श्रमिकों को ही धमकी देना शुरू कर देते हैं। अधिकांश कंपनियां श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराती हैं।
इधर, सेक्टर 90 हादसे के बारे में जिला उपायुक्त शेखर विद्यार्थी से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके। मालूम हो कि घटना के बाद उपायुक्त के निर्देश पर ही जांच कमेटी बनाई गई थी। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि यदि लापरवाही बरतने का आरोप साबित हुआ तो हर हाल में कार्रवाई की जाएगी।