जाम की समस्या से लोगों को हो रही परेशानी
सत्येंद्र सिंह, गुड़गांव : ट्रैफिक जाम साइबर सिटी के लिए नासूर बन गया। दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे का जाम हो या उससे अगले हिस्से हाइवे का। हर मौसम हर दिन जाम की समस्या रहती है। सोहना घाटी से तावडू जाने वाली सड़क पर तो जाम इस कदर लगता है कि चालीस किलोमीटर के सफर को तय करने में लोगों को घंटो लग जाते हैं। कहीं पर खस्ताहाल सड़क के चलते जाम लगता है तो, कहीं तंग सर्विस रोड व टोल वसूली के चलते। शहर के आंतरिक इलाकों में जाम हर समय दिखाई देता है। जिस जगह में जाने में पांच मिनट लगते हैं वहां पहुंचने में जाम के चलते घंटों लग जाते हैं। यह समस्या पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अप्रैल में हुए लोक सभा चुनाव में मुद्दा बनी। नेताओं ने निजात दिलाने के दावे किए। लोकसभा चुनाव बाद केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री ने एक्सप्रेसवे का दौरा भी किया लेकिन हालात अभी ज्यों के त्यों हैं।
इस विधानसभा चुनाव में विपक्ष के नेता मतदाता ट्रैफिक जाम व खराब सड़क तंत्र को लेकर तल्ख दिखेंगे, जबकि सत्ता पक्ष के नेता कूल रहेंगे। उन्हें जवाब देने के लिए अतिरिक्त मसाला खोजना पड़ेगा। क्योंकि जनता के पास यहीं मौका है पांच साल की पीड़ा सुनाने का। इसके बाद तो शायद ही कोई नेता खुद जनता के पास सेवक के रूप में आए। दैनिक जागरण ने जनता की आवाज बुलंद की तो सरहौल टोल प्लाजा हटाया गया अब खेड़की दौला टोल हटाने की मांग हो चुकी है। वहीं पांच साल में सोहना अलवर हाइवे भी दावों के मुताबिक नहीं तैयार हो पाया। दिल्ली-जयपुर हाइवे को एक्सप्रेस-वे में तब्दील करने की योजना पर भी कछुवा गति से काम चल रहा है। डायवर्जन रूट जर्जर हो चुके हैं। वाहन चलाने वालों की रीढ़ भी दर्द करने लगती है। कई बार ऐसा होता है कि आधे घंटे के सफर में चार से पांच घंटे लगते हैं।
''खराब सड़क के चलते लगने वाले जाम से आम आदमी से लेकर उद्यमी भी परेशान हैं। उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं। समय से माल व कर्मचारी नहीं पहुंच पाते। निश्चित तौर से यह बड़ा मुद्दा है। इसे दूर करने के लिए राजनैतिक दलों को ठोस प्रयास करने होंगे।
मनोज त्यागी, महासचिव आइएमटी उद्योग एसोसिएशन, मानेसर
''हाइवे का जाम हो या शहर का इसका कोई इलाज नहीं हो पा रहा है। मरीज तक जाम में फंस तड़पते रहते हैं। सेक्टर पंद्रह से बस स्टैंड तक जाने में जहां पहले पांच मिनट लगते थे वहीं अब आधे घंटे से अधिक समय लगता है। जनता का वोट पाकर मंत्री बनने वालों को तो जाम में फंसना नहीं पड़ता है क्योंकि उनके लिए रूट साफ कर दिया जाता है। लेकिन जनता सवाल तो पूछेगी ही।
राजेश गोयल, व्यवसायी।
''शहर की सबसे विकराल समस्या जाम की है। इसके निदान के लिए कोई भी सरकारी एजेंसी प्रयास नहीं कर रही है। यदि इसकी जड़ में जाएं तो पता चलेगा कि सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी है और इसी के चलते यह समस्या नासूर बनती जा रही है।''
-अमित यादव, कारोबारी
''जाम की समस्या के निदान के लिए प्लानिंग करना तो दूर की बात है। जब खस्ताहाल रोड, सर्विस लेन की ही कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। तो फिर अंडर पास, फुट ओवर ब्रिज, फ्लाई ओवर जैसे प्रोजेक्ट की उम्मीद करना ही बेमानी है।''
-रजकरण यादव, पूर्व प्रधान आरडब्ल्यूए सूर्या विहार।