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एक माचिस पड़ता है सौ रुपये का

By Edited By: Published: Sat, 26 Jul 2014 06:24 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jul 2014 06:24 PM (IST)
एक माचिस पड़ता है सौ रुपये का

जागरण आपके द्वार सेक्टर 10

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-कालोनी में न बाजार है और न डिस्पेंसरी

-लोगों को हर चीज खरीदने के लिए जाना पड़ता है दूर

26 जीयूआर 4

शहर के बड़े सेक्टर के लोगों को कई परेशानियां हैं। मार्केट के लिए बड़ी सी जगह है। उस जगह पर कुछ दुकानें भी बना दी गई हैं मगर बरसों से दुकानें खाली हैं। एक मात्र दूध के लिए बूथ है, बाकी कुछ नहीं। इलाके की एक महिला के शब्दों में अगर अपनी गाड़ी नहीं हो तो एक माचिस के लिए सौ रुपये लगाने पड़ते हैं। क्योंकि छोटी सी चीज खरीदने भी दूर जाना पड़ता है। सेक्टर के भीतर पब्लिक वाहन नहीं चलते।

सेक्टर बारिश में जल भराव से डूब जाता है। मुख्य सड़क से नीचे है मगर यहां ड्रेनेज लाइन नहीं लगाई गई । यह हाल सेक्टर 10 का है। लगभग एक हजार बड़े प्लाट वाले इस सेक्टर में हाउसिंग बोर्ड की भी जमीन है मगर खाली पड़ी है। खाली जगहों पर पड़ोस के गांव की डेयरियों से निकला गंदा पानी और डेयरी का गोबर आदि जमा रहता है।

सेक्टर का इतिहास

लगभग एक दशक से बसा यह सेक्टर कुछ बड़े निजी स्कूलों को समेटे है। पटौदी रोड, बसई रोड, कादीपुर, सेक्टर नौ ए से घिरे इस सेक्टर के लोगों को काफी खुली जगहें तो मिली हैं मगर सुविधाएं नहीं। हाई वे की ओर आने के लिए फ्लाईओवर की मांग यहां बरसों से चल रही है। लोगों ने बसों के लिए शेड तो बना दिए मगर सेक्टर के भीतर से परिवहन विभाग की बस नहीं आती। न ही निजी आटो चलते हैं। सेक्टर में कई सुविधाओं के लिए जगह छोड़ी गई है मगर बनी नहीं है। जैसे डिस्पेंसरी के लिए जगह है मगर बनाई नहीं गई। मार्केट के लिए दो जगह है, एक पटौदी रोड से सटे जोहड़ के पास दूसरा भीतर। भीतर हुडा द्वारा बनाए गए मार्केट में तीन खाली दुकानें अपने हाल पर रो रही हैं। जबकि मेन रोड पर कई सालों के संघर्ष के बाद दुकानें बननी शुरू हुई हैं।

मुख्य समस्याएं

1.बरसात में जलभराव

सेक्टर में ड्रेनेज लाइन नहीं है। सेक्टर में ही एक पुराना जोहड़ हैं, उसकी दीवार पिछले सालों के दौरान तोड़ दी गई। वैसे भी सेक्टर मुख्य सड़क से नीचे हैं। जल भराव होता रहता है मगर जोहड़ में जमा पानी और कादीपुर से आने वाला तमाम पानी सेक्टर के भीतर भर जाता है। पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। सड़कें इस कारण टूटती हैं।

2.मार्केट, डिस्पेंसरी बैंक एटीएम नहीं

सेक्टर में एक दूध के बूथ के अलावा कोई दुकान नहीं है। लोगों को खरीदारी के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बाजार के लिए दुकानें बनी हैं मगर उनमें दुकान नहीं लगे। कुछ लोगों ने दूसरी मार्केट साइट में दुकानों के लिए जगह खरीदी थी मगर वहां सीवर, पानी की लाइन नहीं डाला गया था। इस कारण लंबे समय तक दुकानें नहीं बन पाई। सेक्टर के अंतिम छोर पर एक सामान्य अस्पताल बना है मगर इसमें भर्ती की सुविधा शुरू नहीं हुई। सेक्टर के भीतर डिस्पेंसरी की जगह खाली है। प्राइमरी स्कूल की जगह पर गाय भैंस बंधती हैं।

3.टूटी सड़कें और खाली जगहों में जलभराव

एक तरफ बरसात के मौसम में जलजमाव से सेक्टर का बुरा हाल हो जाता है, वहीं सेक्टर के खाली प्लाटों में पड़ोस के गांव के सीवर का गंदा पानी और डेयरियों की गंदगी जमा होती है। बरसात आने को है, लोगों को डेंगू मलेरिया का खतरा परेशान कर रहा है। गंदे पानी के जमाव वाली जगह के आस-पास रहने वाले इस समस्या से काफी त्रस्त हैं।

आरडब्ल्यूए का इरादा

मैंने पिछले दिनों आरडब्ल्यूए का कार्य भार संभाला है। इलाके में सीवर जाम होने की बड़ी समस्या थी मगर हुडा के अधिकारियों ने इस मामले में मदद की है सुपर सकर मशीन के सहारे सफाई की जा रही है। मगर अभी कई समस्याएं हैं, जिन्हें दुरुस्त करना है। डेयरियों के वजह से काफी पशु सड़कों पर घूमते हैं। खाली जगहों पर गोबर और गंदा पानी जमा होता है। बिजली का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इस कारण वोल्टेज में उतार चढ़ाव और केबुल फाल्ट आए दिन की समस्या है।

- धर्मवीर दलाल , आरडब्ल्यूए प्रधान

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सेक्टर की सड़कें टूटी हुई हैं। दो साल से इनकी मरम्मत नहीं हुई। बरसाती पानी के जमाव के कारण सड़कें टूटती हैं। अधिकारियों का साथ मिल रहा है मगर अभी और ज्यादा सहयोग की जरूरत है। पड़ोस के ऑटो मार्केट के लिए खाली जगह भी बड़ी परेशानी का सबब है। वहां लोग मरे हुए जानवर फेंक जाते हैं।

- विनोद वशिष्ठ, आरडब्ल्यूए महासचिव

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लोगों ने कहा

मैं काफी समय से आरडब्ल्यूए संरक्षक के रूप में काम रही हूं। यहां अधिकारी आते तो हैं मगर समस्याओं को स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। ड्रेनेज एक बड़ी समस्या है। बिजली की समस्या है। इलाके में बच्चों के खेलने के लिए कोई मैदान नहीं है।

- समी अहलावत

इतने बड़े सेक्टर में न तो कोई बाजार है, न बैंक, न डिस्पेंसरी। अगर कुछ खरीदने जाना हो तो गाड़ी लेकर निकालिए। पैसे की जरूरत हो तो काफी दूर जाइए। बीमार पड़े तो दूर जाइए। सेक्टर के पास एक बडे़ सरकारी अस्पताल का भव्य भवन बना है मगर वह पूरी तरह चालू नहीं हुआ। कई वर्षो तक बनकर तैयार रहा। सरकार अगर चाहे तो यह इलाके लोगों के लिए बड़ी राहत की बात हो सकती है।

- दलेल सिंह जून

गंदे पानी के जमाव से सबसे ज्यादा त्रस्त हूं। मेरे घर के पास मार्केट के लिए बनी जगह के ठीक पीछे इस प्रचंड गर्मी में काफी पानी जमा है, बरसात में क्या हाल होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। मच्छर, कीटाणु और बदबू हमारे घरों तक पहुंच रही है।

- महावीर सिंह

बरसात में पानी की निकासी नहीं होती। आटो मार्के ट की खाली जगह में गंदगी फेंकी जाती है। सीवेज जाम की समस्या भी थी मगर अभी सुपर सकर मशीन से सफाई की जा रही है।

- उषा राणा

सेक्टर में टूटी सड़कें, जल निकासी, आवारा पशु जैसी कई समस्याएं हैं। यहां की सफाई बहुत अच्छी नहीं है। हालांकि नई आरडब्ल्यूए ने कई कोशिशें की हैं। सेक्टर 10 का सरकारी अस्पताल अच्छी तरह चालू हो जाए और सेक्टर में बैंक की व्यवस्था हो तो सुविधा हो जाएगी। छोटे बड़े आठ पार्क हैं। इलाके में मगर कोई बड़ा ग्राउंड नहीं है, जहां बच्चे खेल सकें।

संतोष शर्मा

- अगर हमारे पास अपनी गाड़ी नहीं हो तो एक माचिस भी हमें 100 रुपए में पड़ती है। छोटा से छोटा सामान खरीदने भी तीन चार किमी दूर जाना पड़ता है। सेक्टर भीतर पब्लिक परिवहन व्यवस्था नहीं है। सेक्टर बहुत बड़ा है। लोगों काफी कठिनाई आती है। कई वर्षो से मार्केट बनकर तैयार है मगर उसे शुरू नहीं किया जा रहा है।

जागरण सुझाव

- सेक्टर में जल निकासी के प्रबंध और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को प्रभावी बनाने का काम किया जाना चाहिए

- कई जगह सड़कें बनाए जाने की जरूरत है

- सेक्टर मार्केट को विकसित किया जाना चाहिए

- सेक्टर में खाली जगहें जहां गंदे पानी का जमाव होता है, उसे तात्कालीन रूप से बच्चों के खेलने के मैदान के रूप में विकसित किया जा सकता है।

अधिकारी बोले

सेक्टर के मार्केट की दुकानों की नीलामी होगी। हम उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ महीनों में लोगों को जरूरी सामान के खरीदने दूर नहीं जाना होगा। इलाके के एक्सइन पिछले दिनों मीटिंग बता रहे थे कि सड़कों के टेंडर हुए हैं। जल निकासी के लिए भी व्यवस्था करेंगे। इस बरसात में कोशिश होगी कि जल जमाव नहीं हो।

-सुरेन्द्र सिंह सहारन, संपदा अधिकारी हुडा


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