लीड----इक्कीसवीं सदी में रेलों का बुरा हाल
जागरण संवाददाता, गुड़गांव। रेल मंत्रालय भले ही डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से रेल चलाने का दावा करे। मगर इक्कीसवी सदी में उसकी रेल पांच किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी चल रही है। वह भी एक या दो दिन नहीं अपितु महीने में कम से 25 दिन। गाड़ियों की यह रफ्तार रेवाड़ी-दिल्ली रूट पर चलने वाले यात्रियों के लिए मुसीबत बनी है।
उदाहरण के तौर पर सराय रोहिल्ला फरुखनगर के बीच चलने वाली डीएमयू सवारी गाड़ी को लें तो एक साल पहले बड़े ही जोर शोर से इस गाड़ी का परिचालन शुरु किया गया था। सुबह के वक्त सराय रोहिल्ला से फरुखनगर का रास्ता शायद ही कभी इस रेलगाड़ी ने निर्धारित एक घंटे की समय सीमा के अंदर पूरा किया हो। आलम यह सराय रोहिल्ला से चलकर यह गाड़ी करीब नौ बजे पटेल नगर स्टेशन पहुंचती है लेकिन पटेल नगर से दिल्ली छावनी स्टेशन तक पांच किलोमीटर की दूरी यह पूरे एक घंटे में तय करते हुए दस बजे तक वहा पहुंचती है। दिल्ली छावनी से गुड़गांव तक 18 किलोमीटर की दूरी तय करते इस गाड़ी को 11 बज जाते हैं। यह हालत सिर्फ इसी रेल गाड़ी की नहीं है इसके बाद मेरठ से आने वाली लोकल सवारी गाड़ी की भी, पटेल नगर पहुंचने का उसका समय 9 बजकर 50 मिनट निर्धारित है लेकिन पहुंचती दस बजे के बाद ही है। पटेल नगर से दिल्ली छावनी 11 बज जाते हैं यानि इसकी रफ्तार भी प्रति घंटा पांच किलोमीटर की ही होती है। कुछ इसी तरह की स्थिति रेवाड़ी से दिल्ली सराय रोहिल्ला की तरफ जाने वाली लोकल गाड़ियों की है। गाड़ी संख्या 54420 के गुड़गांव पहुंचने का समय रात 8 बजकर 47 मिनट है लेकिन पूजा, सादलपुर एवं अजमेर शताब्दी की सताई यह गाड़ी नौ बजे के बाद ही गुड़गांव स्टेशन पहुंचती है। और पटेल नगर स्टेशन रात 11 बजे तक ही पहुंच पाती है यानि 23 किलोमीटर का मार्ग तय करने में इस गाड़ी को दो घंटे के करीब लगते हैं इस प्रकार से प्रति घंटा औसत साढ़े ग्यारह किलोमीटर ही रहता है।
बोले दैनिक यात्री
घट रही रफ्तार
' नई सरकार से उम्मीद थी कि हमारे भी अच्छे दिन आएंगे लेकिन यहां तो एक माह के दौरान स्थिति और भी बिगड़ गई हैं, ऐसे लगता है कि रेलवे पर रेल मंत्री का नियंत्रण नहीं हैं, रफ्तार बढ़ने के बजाय रफ्तार घट रही है'
- सलीम मलिक, पटेल नगर।
'मेरी समझ नहीं आता कि जिस केजरीवाल सरकार से 49 दिन में बहुत सी उम्मीद भाजपा कर रही थी अब वह सत्ता में आते ही अपने एक माह के कार्यकाल को काम करने के लिए कम बता रही है, हम मानते हैं कि यह वकत बहुत कम है लेकिन रेलों का समय पर परिचालन हो इसके लिए तो सिर्फ चौबीस घंटे ही पर्याप्त होते हैं, जरूरत बेलगाम अधिकारियों पर लगाम लगाने की होती है।''
-अरुण गौड़, कर्मपुरा दिल्ली।
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'रेल मंत्री डेढ़ किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार की बजाय उन रेल गाड़ियों का समय पर परिचालन करवाएं जिनमें आम लोग यात्रा करते हैं, आम लोगों की यात्रा को सुखमय बनाने का प्रयास करती यह सरकार नजर नहीं आ रही है जो आम लोगों का प्रतिनिधि तत्व करने का दम भरती है।'
-विजेन्द्र वत्स,
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दिल्ली सराय रोहिल्ला एवं दिल्ली कैंट के बीच पुराने रेल लाइन डली हुई हैं, जिसमें एक तरफा क्रासिंग है और ऐसा ही पालम और दिल्ली कैंट के बीच है जिसकी वजह से रेल गाड़ियों का परिचालन में इस तकनीकी दिक्कत का ध्यान रखता है। लम्बे रूट पर चलने वाली एक्सप्रेस एवं मेल गाड़ियों को भी पहले निकालना होता है जिसका असर निश्चित तौर पर लोकल गाड़ियों के समय पर पड़ता है लेकिन वह भी जरूरी है। अगले कुछ वर्षो में निश्चित तौर पर इस रूट पर स्थिति सुधरेगी।
ए.एस.नेगी, जनसंपर्क अधिकारी उत्तर रेलवे।