छोटी सी उम्र में बना ली पहचान
सतभूषण गोयल, टोहाना अगर मन में हौसला हो तो बड़े से बड़े मुकाम को हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कर दि
सतभूषण गोयल, टोहाना
अगर मन में हौसला हो तो बड़े से बड़े मुकाम को हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है कि टोहाना की 10 वर्षीय गोपिका ने। दिखने में छोटी जरूर है लेकिन उपलब्धियां देखकर बड़े से बड़ा दंग रह जाता है। गोपिका ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित प्रतियोगिता में दमखम दिखाकर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित किया है।
बजरंग मॉडल स्कूल की कक्षा चौथी की 10 वर्षीय गोपिका नैन ने दिल्ली में आयोजित साऊथ एशियन ग्रेप¨लग चैंपियनशिप 2016 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त कर भारत का नाम रोशन किया है। स्कूल निदेशक विनय वर्मा ने बताया कि नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 18 से 19 दिसंबर तक आयोजित अंतराष्ट्रीय ग्रेप¨लग चैम्पियनशिप में भारत, नेपाल, भूटान तथा अफगानिस्तान आदि देशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया था। जिसमें बजरंग मॉडल स्कूल की नन्हीं पहलवान गोपिका नैन ने अन्य देशों के खिलाड़ियों को पटखनी देते हुए अपने-अपने भार वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त किए।
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बजरंग अखाड़े में दिया प्रशिक्षण
छात्रा गोपिका ने बताया कि सुविधा के अभाव कई बार उन्हें निराश भी होना पड़ा। लेकिन उनके मार्ग दर्शक विनय वर्मा ने उन्हें हर सुविधा उपलब्ध करवाने की कोशिश भी की है। प्रतियोगिता से पहले अखाड़ा नहीं था। उसके बाद उन्होंने बजरंग अखाड़े में प्रशिक्षण दिया गया।
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अखाड़े में पिता छोड़कर जाते हैं
गांव कन्हड़ी के रामनिवास अपनी बेटी गोपिका को प्रतिदिन बजरंग अखाड़े में सुबह-शाम छोड़कर जाते हैं, जहां वह दो -दो घंटे गहन प्रशिक्षण लेती हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद अब उनके हौसले बुलंद हैं। वहीं उन्होंने दंगल फिल्म को देखने के बाद गीता-बबीता फोगाट की तरह कुशल पहलवान बनने का सपना अपने मन में संजोया है। इससे पूर्व गोपिका ने उपरोक्त राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अगस्त 2016 में हरियाणा का नेतृत्व करते हुए गोल्ड मेडल जीता था।
इस उपलब्धि पर जिला फतेहाबाद के उपायुक्त एनके सोलंकी व ओपी नरवाल ने उसे सम्मानित किया था। वहीं टोहाना में एसडीएम सतीश कुमार द्वारा भी गोपिका को सम्मानित किया गया था।
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प्राथमिक खेलों में शामिल हो कुश्ती
गोपिका के मन में एक टीस है कि वह कुश्ती में लगातार तीन-चार वर्षों से कड़ी मेहनत कर रही है लेकिन प्राथमिक खेलों में लड़कियों के लिए कुश्ती गेम ही शामिल नहीं है जिसके कारण उसे लड़कियों के कंपीटीशन नहीं मिल रहे हैं। गोपिका का मानना है कि अगर प्राथमिक खेलों में कुश्ती को शामिल कर लिया जाए तो अनेक लड़कियां इस खेल में आ सकती हैं।