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जागरण सरोकार : सुशिक्षित समाज : साहिबाबाद

हेडिंग : बीमारी को ठेंगा दिखा अशिक्षा के खिलाफ लड़ रहे जंग सुशिक्षित समाज फोटो : 20 जीपीएस - 1,

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 07:48 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 07:48 PM (IST)
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हेडिंग : बीमारी को ठेंगा दिखा अशिक्षा के खिलाफ लड़ रहे जंग

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सुशिक्षित समाज

फोटो : 20 जीपीएस - 1, 1ए

-कैंसर से पीड़ित हरिदास स्कूली बच्चों को निश्शुल्क दे रहे शिक्षा

-कहते हैं, गरीबी हटानी है तो शिक्षा को ही हथियार बनाना होगा

अवनीश मिश्र, साहिबाबाद

पुष्प विहार, कौशाबी में रहने वाले हरिदास सूत्रधार पिछले चार वषरें से कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद हर रोज पूर्व माध्यमिक विद्यालय, वैशाली के बच्चों को निश्शुल्क गणित पढ़ा रहे हैं। उनका नारा है कैंसर अपनी जगह, अशिक्षा के खिलाफ लड़ाई अपनी जगह। वह कहते हैं कि देश से गरीबी हटानी है, तो शिक्षा को ही हथियार बनाना होगा।

गणित के गुरु जी

हरिदास सूत्रधार 2007 में गृह मंत्रालय से संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। वह परिवार के साथ पुष्प विहार सोसायटी, कौशाबी में रहते हैं। परिवार में तीन बेटिया व पत्‍‌नी हैं। 2012 में उन्हें पता चला कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय, वैशाली में पिछले एक डेढ़ साल से गणित का कोई शिक्षक नहीं है। इस पर उन्होंने स्कूल की प्रधानाध्यापक कमर अब्बास से बात कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इस बीच 2013 में उन्हें कैंसर के बारे में पता चला, लेकिन उन्होंने बच्चों को पढ़ाना बंद नहीं किया। दवा चलती रही और अशिक्षा के खिलाफ उनकी लड़ाई भी जारी रही। 2014 में कीमोथैरेपी से गुजरना पड़ा, फिर भी हरिदास ने हार नहीं मानी और बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। चार साल हो गए हैं, बीमारी जस की तस है, लेकिन हरिदास आज भी कार चलाकर स्कूल पहुंचते हैं। सुबह साढ़े दस से दोपहर एक बजे तक बच्चों को गणित पढ़ाते हैं। बच्चे उन्हें गणित के गुरु जी के नाम से पुकारते हैं।

हिंदी को लेकर हुई समस्या

हरिदास मूलरूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। इंटरमीडिएट तक बंगाल बोर्ड से पढ़ाई करने व उसके बाद जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक करने वाले हरिदास का हिंदी से बस बोलचाल तक ही वास्ता रहा। वैशाली स्कूल में हिंदी माध्यम से होने वाली पढ़ाई ने उनके सामने समस्या खड़ी कर दी। उन्हें लगा कि वह बच्चों के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने अपने प्रिय विषय गणित को बहुत की बेहतरीन तरीके से समझाना शुरू किया, तो बच्चे भी जल्दी समझने लगे। उनका मानना है कि बच्चे शब्दों से ज्यादा भावनाओं से सीख जाते हैं।

गरीबी मिटाने की चाह

हरिदास कहते हैं कि देश से गरीबी हटानी है, तो शिक्षा को ही हथियार बनाना होगा। सरकारी स्कूल में गरीब घरों के बच्चे ही जा रहे हैं, इन बच्चों का पारिवारिक माहौल पढ़ाई के अनुकूल नहीं रहता। ऐसी स्थिति में रहने वाला एक भी बच्चा कामयाब हो गया, तो वह देश सेवा का ही काम करेगा। इसलिए उन्होंने गणित विषय के अपने पूरे अनुभव को इन स्कूली बच्चों में बाटने का संकल्प लिया है।

छह से आठ कक्षा तक के बच्चों को दे रहे शिक्षा

स्कूल की प्रधानाध्यापक कमर अब्बास ने बताया कि स्कूल में कक्षा छह से आठ तक के कुल 270 बच्चे हैं। उनकी और शिक्षक पुष्पा रानी की स्कूल में तैनाती है। ऐसे में तीन कक्षा के बच्चों को पढ़ाने में बहुत परेशानी होती है। हरिदास के गणित पढ़ा देने से बड़ी समस्या का समाधान हो गया है। वह बच्चों को गणित पढ़ाते ही नहीं, बल्कि फार्मूलों को बहुत अच्छी तरह से समझाते हैं। बच्चे उन्हें बहुत अच्छी तरह से समझ जाते हैं और अपने से छोटी कक्षा के बच्चों को उसकी जानकारी देते हैं। इससे स्कूल में गणित के शिक्षक की कमी नहीं महसूस होती है। उन्होंने बताया कि हरिदास से सीख कर कक्षा-आठ की पूनम, सोनल, देवेंद्र, खुशबू, बाकर आदि सातवीं के बच्चों को गणित के सवाल हल करने में मदद देते हैं। सातवीं की अंजू, धर्मवती, पूजा आदि छठवीं के बच्चों की मदद करती हैं।

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