सर नोट नहीं है चालान मत करो, अब नहीं पीऊंगा
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: नोटबंदी का असर हर जगह देखने को मिल रहा है। यहां तक की पुलिस भी अगर चाल
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: नोटबंदी का असर हर जगह देखने को मिल रहा है। यहां तक की पुलिस भी अगर चालान करती है तो लोग नोटबंदी की दुहाई देकर जाने देने की गुहार लगाते हैं। कई बार स्थिति हास्यास्पद भी बन जाती है। ऐसा ही स्थिति बीके चौक पर यातायात पुलिस की ओर से चलाए गए 'ड्रंकन ड्राइ¨वग' अभियान के दौरान देखने को मिली। इस दौरान शराब पीकर वाहन चलाते पकड़े गए अधिकतर लोगों ने पुलिसवालों से कहा कि नोटबंदी के कारण वह चालान जमा करने की स्थिति में नहीं हैं, ऐसे में चालान न किया जाए। हालांकि पुलिसकर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी और चालान कर दिया।
दृश्य एक
बीके चौक पर पुलिस की जिप्सी खड़ी है। यातायात थाना प्रभारी इंस्पेक्टर मनमोहन ¨सह चालान बुक जिप्सी के बोनट पर रखकर चालान कर रहे हैं। दो युवक उनके पास खड़े हैं। अन्य पुलिसकर्मी सड़क पर आते जाते वाहन चालकों को रोक-रोककर देख रहे हैं कि उन्होंने शराब तो नहीं पी हुई। इंस्पेक्टर के पास युवकों में से एक कह रहा है कि सर चालान मत करो। नोटबंदी के कारण उनके पास इस समय पैसे नहीं हैं। ऐसे में वह चालान का भुगतान नहीं कर पाएंगे। तब इंस्पेक्टर पूछते हैं कि शराब पीने के लिए रुपये कहां से आए। इस सवाल पर वह चुप्पी साध जाते हैं। इंस्पेक्टर चालान भरकर उनके हाथ में थमा देते हैं और बताते हैं कि सोमवार को अदालत में जाकर चालान भर आएं।
दृश्य दो:
एक मोटरसाइकिल सवार युवक को रोककर पुलिसकर्मी उसके मुंह में एल्कोमीटर (पी गई शराब की मात्रा पता करने वाली मशीन) लगाते हैं। मशीन बताती है कि युवक ने शराब पी हुई है। पुलिसकर्मी उसे इंस्पेक्टर के पास ले आते हैं। वह युवक भी नोटबंदी की दुहाई देकर चालान न करने की प्रार्थना करता है। साथ ही बताता है कि सर आज दोस्त का जन्मदिन था उसमें थोड़ी सी पी ली। साथ आगे पीकर न चलने का भी वादा करता है। इंस्पेक्टर मोटरसाइकिल का नंबर पता कर चालान भरना शुरू कर देते हैं। तब युवक कहता है सर सौ रुपये से ज्यादा का मत भरना। नहीं तो चालान भुगतने में परेशानी होगी। इंस्पेक्टर उसका चालान कर थमा देते हैं।
दृश्य तीन: पुलिसकर्मी एक कार चालक को लाते हैं, उसने भी शराब पी हुई है। इंस्पेक्टर चालान भरकर उसे थमा देते हैं। वह पर्स निकालकर वहीं भुगतान करने की बात कहता है, मगर पांच सौ के पुराने नोट निकालता है। इस पर इंस्पेक्टर उसे साफ कर देते हैं कि चालान का भुगतान नए नोट से ही करना होगा। वह युवक इंस्पेक्टर से कहने लगता है कि कम से कम चालान तो पुराने नोटों से ले लो। इनमें ट्रेजरी में जमा करा देना। मगर इंस्पेक्टर उसे झिड़ककर जाने को कहते हैं। वह युवक नोट वापस जेब में रखकर चालान लेकर भुनभुनाते हुए चला जाता है।