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गोद लिए गांव को भूल गए सांसद

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: सांसद ग्राम योजना के तहत केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के गोद लिए

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 01:05 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 01:05 AM (IST)

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: सांसद ग्राम योजना के तहत केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के गोद लिए गए गांव तिलपत का हाल उस बच्चे जैसा है जिसे गोद तो ले लिया। मगर दुलार नहीं दिया। गोद लिए एक साल बीतने के बावजूद गांव की स्थिति में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं है। योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह गईं।

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कहने को गांव के लिए 32 योजनाएं बनी हैं। मगर अभी तक इनमें से केवल 18 ही पूरी हुई हैं। पूरी होने वाली योजनाओं में भी वह शामिल हैं जिनका असर जमीन पर नहीं दिखाई दे रहा है। उदाहरण के लिए गांव में सेल्फ हेल्प ग्रुप का निर्माण, मिनी डेयरी योजना, पशुओं का बीमा, मुर्राह नस्ल की भैंसों को बढ़ावा जैसी योजनाएं पूरी हुई हैं। ब्राह्मण बहुल यह गांव आबादी के मामले में तिगांव के बाद जिले में दूसरे स्थान पर है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने 14 जनवरी 2015 को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। केंद्रीय राज्यमंत्री कहते हैं कि वह साल 2016 के अंत तक गांव में आठ करोड़ रुपये के विकास कार्य कराएंगे।

इंफोग्राफिकल :

कुल योजनाएं, 32

काम पूरे हुए : 18

काम शुरू हुए : 5

काम शुरू नहीं हुए : 9

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विभिन्न विकास कार्यो के लिए कुल अनुमानित लागत : 9.95 करोड़

विभिन्न विकास कार्यो के लिए मंजूर हुई राशि : 1.82 करोड़

विकास कार्यो के लिए मिली राशि : 1.76 करोड़

विकास कार्यो में लगी राशि : 1.42 करोड़

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सांसद ग्राम के तहत बनी प्रमुख योजनाएं

- श्मशान घाट की बाउंड्री वॉल

- खेल स्टेडियम का निर्माण कार्य

- पीडब्ल्यूडी रोड से श्मशान घाट तक सड़क का निर्माण

- सीएचसी का निर्माण कार्य

- रेन वॉटर हार्वे¨स्टग सिस्टम का निर्माण।

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गांव की प्रमुख समस्याएं :

गांव की सबसे बड़ी समस्या सड़कें हैं। मुख्य सड़क सहित अंदरूनी सड़कें जर्जर हैं। इसके अलावा पानी निकासी की व्यवस्था नहीं है। बारिश के दिनों में गांव में जलभराव हो जाता है। स्वास्थ्य सुविधा के लिए मात्र एक डिस्पेंसरी है। स्ट्रीट लाइट न होने से शाम होते ही गांव अंधेरे में डूब जाता है। बिजली के तार लटके रहते हैं। बारिश होने पर पानी भरने से श्मशान घाट का रास्ता बंद हो जाता है। गोद लेने के बाद मंत्री गांव में केवल एक बार आए हैं।

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गांव का इतिहास :

गांव तिलपत ऐतिहासिक गांव है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि महाभारत काल में कौरवों के मांगने पर पांडव को पांच गांव दान में दिए थे जिसमें तिलपत गांव भी शामिल हैं। यहां पर पांडव परिवार के साथ रहते थे, इसलिए इसे पांडव नगरी भी कहा जाता है। यह गांव बाबा सूरदास के कारण भी चर्चित रहा है। वह 1931 में इस गांव में आए थे। बताया जाता है कि उनमें अलौकिक शक्ति थी। आज गांव में उनकी समाधि बनी है। जहां पर दूरदराज के लोग आकर मन्नत मांगते हैं। तिलपत के अलावा पांच गांवों में पानीपत, सोनीपत, बागपत व मारीपत शामिल हैं।

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आबादी व वेशभूषा

गांव की आबादी लगभग 22 से 25 हजार है। इनमें 60 फीसदी पुरुष व 40 फीसद महिला हैं। वोट लगभग 12500 हैं। युवाओं का पहनावा पेंट कमीज, बुजुर्ग कुर्ता-पायजामा पहनते हैं। महिला साड़ी, सूट-सलवार पहनती हैं।

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व्यवसाय :

गांव में खेती की जमीन मात्र 10 फीसदी बची है। अब लोगों की आय का साधन कंपनी में नौकरी, दुकानदारी, पशुपालन मुख्य व्यवसाय है। गांव में एमबीबीएस दो डॉक्टर, तीन सीए, चार सरकारी स्कूली में मास्टर हैं।

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राजनैतिक पहचान

जिले के बड़े गांवों में शामिल होने के कारण तिलपत विधानसभा व जिला परिषद के चुनाव में अहम भूमिका निभाता है। गावं से ह²यराम मार्केट कमेटी व पंचायत समिति के चेयरमैन व विनोद कौशिक जिला पार्षद रह चुके हैं।

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ग्रामीणों से बातचीत

-गांव में पानी निकासी की सबसे बड़ी समस्या है। नालियां टूटी होने के कारण घरों को पानी सड़क पर बहता रहता है। जहां से लोगों का पैदल निकलना मुश्किल हो रहा है।

-संजय वशिष्ट।

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जिले के सभी गांवों में लगे बिजली के खंभे बदल दिए गए हैं, लेकिन यहां पर आज भी बिजली के खंभे लोहे के लगे हैं जिसमें बरसात होने पर करंट आने का डर बना रहता है। तारों की जर्जर हालत है।

-जीव नंदन शर्मा।

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गांव की आबादी के उपर से हाईटेंशन लाइन गुजर रही है। जिससे ग्रामीण अपने मकान की छत पर दूसरी मंजिल नहीं बना पा रहे हैं। मंत्री व प्रशासनिक अधिकारियों से बार-बार लाइन को हटाने की मांग करने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।

-मास्टर रघुवीर ¨सह।

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जिले के बड़े गांवों में गिनती होने के बाद भी यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर मात्र डिस्पेंशरी बनी हुई है। जिसमें डॉक्टर तक की सुविधा नहीं है। इससे गरीब लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

-रोहताश।

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गांव में बड़ी संख्या में ग्रामीण पशुपालन का काम करते हैं। बावजूद इसके यहां पर पशु अस्पताल तक नहीं है। इससे पशुपालकों को पशु के बीमार होने पर अधिक पैसे खर्च कर बाहर से डॉक्टर बुलाने पड़ते हैं।

-पंडित संतराम।

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गांव में बारहवीं तक का स्कूल है। अधिकतर गांव के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिसके चलते बच्चों को पैसे देकर ट्यूशन पढ़ाना पड़ रहा है।

-पुष्कर शर्मा।

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गांव की मुख्य सड़क को मंत्री से सीमेंटड कंक्रीट की बनाने की मांग करने के बाद भी इंटरलॉ¨कग की बना दी है। जिससे बड़े वाहनों के निकलने से सड़क नीचे धंस गई है। जहां पर बरसात का पानी जमा रहता है।

-विजय कुमार।

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गांव की आबादी बढ़ने से लोगों ने लालडोरा से बाहर मकान बना लिए है। जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। ग्रामीणों के लालडोरा बढ़ाने की मांग करने के बाद भी अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं।

-पंडित होराम।

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गांव के बाहर से आकर लोगों ने डाइंग कंपनी लगाई हुई है। कंपनी वाले बेकार रंग को नालियों में डाल देते हैं। रंग से फैली दुर्गंध के कारण आसपास का वातावरण दूषित रहता है, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।

-हेमचंद्र।

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जिले के सभी गांवों में श्मशान घाट के लिए सीमेंट कंक्रीट की सड़क बनी हुई हैं, लेकिन यहां पर अभी तक शमशान घाट के लिए जाने वाला रास्ता कच्चा पड़ा है। बरसात होने पर निकलने के लिए भी रास्ता नहीं रहता है।

-धर्मवीर मास्टर।

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सरपंच कहिन :-

गांव में नई पंचायत बनने के बाद अभी तक दो बार ग्रामसभा की बैठक हुई हैं। इनमें कई प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजे हैं। इनमें खेल स्टेडियम, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्राम सचिवालय, स्ट्रीट लाइट लगवाना, कूड़ेदान लगवाने, पानी निकासी के लिए नालियों की मरम्मत कराने, बिजली के लोहे के खंभों को हटवाने व जर्जर तारों को बदलवाने, शमशान घाट के रास्ता पक्का बनवाने, पशु अस्पताल बनवाने के लिए प्रस्ताव पास करके भेजे हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के गोद लेने के बाद भी अभी तक एक भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। विकास के नाम पर दावे कोरे साबित हुए हैं।

-नंद किशोर उर्फ ¨पटू, सरपंच।

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आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव में कई कार्य करवाए गए हैं। अब पल्ला चौक से लेकर तिलपत तक करीब चार करोड़ रुपये लागत की सड़क बनवाने की योजना है। यह कार्य 2016 के अंत तक पूरा हो जाएगा। आदर्श ग्राम योजना ऐसे ही है जैसे शहरों के लिए स्मार्ट सिटी योजना है। लोगों के सहयोग के बिना यह योजना पूरी नहीं हो सकती, इसलिए लोगों का इसमें सहयोग बेहद जरूरी है।

- कृष्णपाल गुर्जर, केंद्रीय राज्यमंत्री।


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