चलो गांव की ओर: कई समस्याओं से है घिरा गांव
चलो गांव की ओर : गांव सिकरौना फोटो: 26 एफआरडी- 8 की सीरीज में है नाली का पानी सड़कों पर कैप्शन
चलो गांव की ओर : गांव सिकरौना
फोटो: 26 एफआरडी- 8 की सीरीज में है
नाली का पानी सड़कों पर
कैप्शन 8 : गांव में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। गलियां पक्की बनी हैं, लेकिन नालियां न होने से गंदा पानी बहता रहता है। कीचड़ व गंदा पानी जमा रहने से लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। गंदगी के कारण गांव में जलजनित बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है। यह समस्या गांव में लंबे समय से है। इसका समाधान नहीं हो रहा है।
------
चारों तरफ बिखरे गंदगी के ढेर
कैप्शन 8ए:
गांव में सफाई कर्मचारी ठीक से काम नहीं करते हैं, जिस कारण गांवों के चारों तरफ चौराहों पर गंदगी के ढेर पड़े रहते हैं। कुछ जगहें तो कूड़े के लिए बदनाम हो चुकी हैं। कूड़े के ढेरों के कारण आसपास का वातावरण दूषित रहता है, जहां से लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीणों की बार-बार शिकायत के बाद भी सुनाई नहीं हो रही है।
------
जर्जर हैं बिजली के तार
फोटो 8बी का कैप्शन:
गांव में बिजली की लाइन के तार पुराने होने के कारण जर्जर हालत में हैं। मकानों की छत व गलियों में लटके हुए हैं। जिनके टूटकर गिरने का डर बना रहता है। इस कारण गली से गुजरने वाले लोग व नीचे बंधे पशुओं के लिए खतरा रहता है। पिछले दिनों तार टूटकर गली में गिर चुके हैं। गनीमत यह रही कि उस दौरान कोई वहां से गुजर नहीं रहा था।
---
फोटो 8सी का कैप्शन:
गांव में भूमिया मंदिर पर रविवार को सिकरौना के अलावा आसपास के गांवों के लोग पूजा करने आते हैं।
फोटो 8डी का कैप्शन: गांव का व्यू फोटो
फोटो 8ई:- डा. तेजपाल शर्मा
-8एफ -: पतराम
-8जी :- सूरजपाल
-8एच :- कंचन
-8आई :- अंतराम
-8जे:- निधि
-8के :-विजयपाल संरपच
-8एल:- उपमा अरोड़ा, खंड विकास एवं पंचायत अधिाकारी
---
गांव की भौगोलिक स्थित :
बल्लभगढ़-सोहना रोड पर बसे गांव सिकरौना के दक्षिण-पूर्व में गांव भनकपुर, पश्चिम में फिरोजपुर कलां, उत्तर में करनेरा व दक्षिण में कबूलपुर बांगर बसे हैं। यह गांव पृथला विधानसभा क्षेत्र में आता है। टेकचंद शर्मा विधायक हैं। लोगों का मानना है कि राजनीतिक भेदभाव के चलते गांव में विकास नहीं हो पाया रहे हैं।
---
साक्षरता व आबादी
आबादी 2200
साक्षरता दर- 90 प्रतिशत
---
सुख्खो के नाम पर हो गया सिकरौना
गांव में लगभग 500 वर्ष पहले दिल्ली के बसंत गांव से एक जाट परिवार आकर बसा था। यह गांव पहले ऊंचाई पर बसा हुआ था। इसे खेड़ा के नाम से जाना जाता था। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से खेड़ा के चारों तरफ बरसाती पानी भरा रहने से फसल भी नहीं होती थी। इस कारण जाट परिवार जमीन का कर नहीं भर पा रहा था। इस बात को लेकर जाट परिवार परेशान रहने लगा। परिवार की परेशानी को देख एक ब्रह्मण ने जमीन का कर भर दिया। इसके बाद गांव की आधी जमीन ब्रह्मण के नाम कर दी गई, लेकिन खेती जाट परिवार ही करता था। खेड़े में अचानक महामारी फैल गई और लोगों की मौत होने लगी। इससे लोग परेशान रहने लगे। बीमारी से बचने के लिए लोगों ने खेड़ा को छोड़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लोग खेड़े से नीचे खेतों में आकर बसने लगे और कुछ दिनों के अंदर सारे लोग खेड़े के नीचे खेतों आ बसे।
किंतु यहा आकर भी जाट परिवार आबाद नहीं हो पाया। इससे वह लोग काफी परेशान थे। इसी दौरान पड़ौसी गाव करनेरा की सुख्खो नाम की लड़की ससुराल से मायके में रक्षाबंधन पर अपने भाई को राखी बाधने के लिए जा रही थी। रात होने व मौसम खराब होने पर खेड़े के पास जाट परिवार के लोगों ने उसे रोक लिया। सुबह रक्षाबंधन के दिन सुख्खो ने जाट परिवार के लोगों को राखी बाधी। चूंकि जाट यहा आबाद नहीं हो रहा था और यह जगह छोड़ना चाह रहा था। ऐसे में उस परिवार ने अपनी जमीन सुख्खो को राखी बाधने पर उपहार के तौर पर दे दी और वहा से कहीं और जाकर बस गए। सुख्खो के नाम पर ही इस गाव का नाम धीरे-धीरे सिकरौना पड़ा।
--
गांव में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। गांव फतेहपुर तगा में लगे ट्यूबवेल के खराब होने पर गांव के पास लगे ट्यूबवेल का खारे पानी की आपूर्ति हो रही है। महिलाएं सिरों पर मटका रखकर मंदिर से आगे लगे हैंड पंप से पीने का पानी लाती हैं।
- डा. तेजपाल शर्मा
---
गांव में आठवीं तक का स्कूल है, जहां पर गांव के बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है। लेकिन छोटे बच्चे होने के कारण कई किलोमीटर पैदल चलकर नहीं जा पाते है। खासकर लड़कियां। - निधि
गांव में स्ट्रीट लाइट नहीं होने से शाम होते ही गलियों में अंधेरा छा जाता है। जिसके कारण गलियों में फैली गंदगी से निकलना मुश्किल हो रहा है। अंधेरा रहने के कारण बुजुर्ग लोग दिखाई नहीं देने पर फिसलकर गिरने से चोटिल हो रहे हैं। -पतराम
गांव में कहने को कंकरीट की सड़क बनी हुई हैं, लेकिन नालियां नहीं होने से गंदा पानी गली में बहता रहता है। सफाई नहीं होने से कीचड़ होने पर लोगों को निकलना मुश्किल हो रहा है। जबकि गांव में सफाई कर्मचारी लगाए हुए हैं।
- सूरजभान
गांव में महिलाओं के लिए कोई ऐसा साधन नहीं है, जिससे में प्रशिक्षण लेकर महिला कोई अपना काम कर सकें। गांव में सिलाई सेंटर तक भी नहीं हैं। जिसके कारण गांव लड़कियां दूरे गांव या फिर शहर में सिलाई का काम सिखने जाती हैं।
-कंचन
गांव में सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम होती हैं। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से चारों तरफ पानी भर जाता है। जिससे गांव में फसल में काफी नुकसान हो जाता है। इसके अलावा गांव में अवैध कब्जों की भी समस्या बनी हुई है। -अंतराम
गांव में दिए गए 100-100 गज के प्लाटों में पक्की सड़क बनवाई है। छह पक्की गली बनवाई हैं। एक ट्यूबवेल लगवाया है, श्मशान घाट की चारदीवारी, दो शेड, एक हाल बनवाया है। वाल्मीकि चौपाल की चारदीवारी कराई, पांच हैंड पंप लगवाए। 80 स्ट्रीट लाइट लगवाई हैं, स्कूल की चारदीवारी कराई है। इसके अलावा बरातघर मंजूर करा दिया है। आइटीआइ बनवाने का प्रस्ताव पास कर भेजा हुआ है। गांव में नालियां बनवाने का एसटीमेट बनाकर भेजा हुआ है। बजट पास होते ही काम शुरू हो जाएगा।
- विजयपाल, सरपंच
गांवों में स्वच्छता अभियान के तहत साफ-सफाई की देखरेख के लिए नोडल अधिकारी लगाए हुए हैं। गांव सिकरौना में अवैध कब्जे व साफ-सफाई नहीं होने के बारे में शिकायत नहीं मिली है। इन समस्याओं के बारे में ग्राम सचिव व एसडीओ को भेजकर रिपोर्ट मांगी जाएगी। ग्रामीणों की समस्या का जल्द ही समाधान कराया जाएगा।
-उपमा अरोड़ा, खंड विकास एंव पंचायत अधिकारी बल्लभगढ़।