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टोल अदा करके भी फांक रहे धूल

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद व्यस्त दिल्ली-आगरा मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर दो) का गांव अजरौंदा

By Edited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2015 07:10 PM (IST)
टोल अदा करके भी फांक रहे धूल

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद

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व्यस्त दिल्ली-आगरा मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर दो) का गांव अजरौंदा मोड़ से स्वर्गाश्रम के सामने तक पांच सौ मीटर लंबा टुकड़ा इस तरह टूटा पड़ा है कि लोग टोल टैक्स अदा करने के बाद एक तरह से अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) राजमार्ग नंबर दो पर करीब 20 लाख रुपये प्रतिदिन टोल टैक्स के रूप में वसूलती है। बावजूद एनएचएआइ राजमार्ग के इस टूटे हिस्से को बना नहीं रहा है। आलम यह है कि लाखों रुपये प्रतिनिदिन टोल टैक्स के रूप में देने वाले लोग इस मार्ग पर धूल फांकने को मजबूर हैं।

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- पगडंडी से भी बदतर है राजमार्ग दो

राजमार्ग नंबर दो का यह टुकड़ा इतनी बदतर स्थिति में है कि गांवच्की कच्ची पगडंडी पर चलना भीच्इससे अच्छा अहसास होगा। यहां से गुजरने वाले दोपहिया वाहन चालकों के कपड़े तो एकदम धूल में अट जाते हैं। बिना एसी गाड़ी वाले भी यहां से निकलते समय गाड़ी के शीशे बंद कर लेते हैं और एक तरह घुटन में पांच सौ मीटर लंबा रास्ता काटते हैं यदि वे ऐसा नहीं करें तो धूल मिट्टी में न सिर्फ उनकी पूरी गाड़ी अंदर से भर जाए बल्कि उनके कपड़े भी खराब हो जाएं।

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- दांतों के बीच बजती है किरकिल

दिन सोमवार, समय : दोपहर के 12 बजे हैं और नजारा है अजरौंदा मेट्रो ट्रेन के स्टेशन के सामने लगे फौजी चाय के खोखे का। यहां कुछ लोग हाथ में हेलमेट लिए चाय पीने बैठे हैं। संभवतया ये नजदीक चल रहे मेट्रो ट्रेन के लिए चल रहे काम में भागीदारी देने वाले हैं। कुछ लोग दैनिक जागरण अखबार हाथ में लिए शहर,प्रदेश और देश-विदेश की खबरों में मशगूल हैं। तभी एक व्यक्ति फौजी चाय वाले के यहां काम कर रहे युवक को आवाज देते हैं। सेठ, दो चाय बना दो, अब तो चाय बिना दूध भी गाढ़ी बनती होगी? इस सवाल पर सेठ हैरान होकर पूछता है कि बाबूजी, ऐसा कैसे हो सकता है। फिर जवाब आता है कि अरे भाई, हैरान न हो, हम तो यहां उड़ रही धूल के कारण ऐसा बोल रहे हैं। हमारे दांतों के बीच तो पूरे दिन धूल कणों की किरकिल बजती है। अगर यहीं काम करते रहे तो जल्द ही अस्थमा के मरीज हो जाएंगे।

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पता नहीं हमारे जनप्रतिनिधि क्या करते हैं जो उन्हें ऐसी समस्या दिखाई नहीं देती। मेरी मानो तो अधिकारियों और नेताओं को भी एक दिन दो पहिया वाहनों पर ही शहर में धूमना चाहिए, तब उन्हें आम आदमी की समस्या की जानकारी होगी। यह छोटा सा टुकड़ा क्यों नहीं बनाया जा रहा समझ में नहीं आता।

-मोहम्मद आसिफ, सेक्टर-19।

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-असंवेदनशील है जनप्रतिनिधियों को रवैया

दैनिक जागरण ने इस बाबत स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर का ध्यान आकर्षित किया था। तब गुर्जर ने एनएचएआइ के इस प्रोजेक्ट के प्रबंधक सुरेश कुमार को सड़क का टुकड़ा बनाने का निर्देश दिया मगर उनके आदेश के बावजूद यह टूटा सड़क का टुकड़ा नहीं बनाया जा रहा है। गुर्जर के अलावा अन्य विधायक या जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी लाखों लोगों से जुड़ी इस समस्या की अनदेखी की है।

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इस टूटे हुए हिस्से के अलावा अन्य जो भी समस्या राजमार्ग नंबर दो पर हैं, उनके समाधान के लिए शीघ्र ही प्रोजेक्ट निदेशक दौरा करेंगे। टूटे हुए हिस्से को बनाने के लिए हम मौसम खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

-सुरेश कुमार,

प्रबंधक, एनएचएआइ प्रोजेक्ट।

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मैं यहां से प्रतिदिन निकलता हूं और धूल मिट्टी से मेरे कपड़े खराब हो जाते हैं। इसके बाद मैं पूरे दिन अपने शहर के नेताओं को कोसता हूं। इसके अलावा अब मेरे पास अगले पांच साल तक और कोई अधिकार नहीं है।

-डा.अशोक, भारत कालोनी।

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प्रतिदिन मैं यहां से सवारी लेकर जाता हूं और यहां से गुजरना मेरे लिए सबसे कठिन दौर होता है। यहां से मेरे तिपहिये में बैठी सवारी जैसे ही आगे निकलती हैं, यहां के मौजूदा नेताओं और सरकार को कोसते नजर आते हैं।

मुकेश, तिपहिया चालक।

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यह राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर दो है और यहां से दिल्ली से आगरा तक जाने वाले पर्यटक भी निकलते हैं मगर जब राजमार्ग का यह हाल देखते होंगे तो वे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ही नहीं बल्कि हमारे देश के बारे में अपनी गलत राय बनाते होंगे।

-मोहन ¨सह।


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