Move to Jagran APP

गुरुकुल इंद्रप्रस्थ में पुस्तकों के महत्व पर चर्चा

अनिल बेताब, गुरुकुल इंद्रप्रस्थ : गुरुकुल इंद्रप्रस्थ में स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस समारोह में

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 07:52 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 07:52 PM (IST)
गुरुकुल इंद्रप्रस्थ में पुस्तकों के महत्व पर चर्चा

अनिल बेताब, गुरुकुल इंद्रप्रस्थ :

loksabha election banner

गुरुकुल इंद्रप्रस्थ में स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस समारोह में पुस्तकों के महत्व पर चर्चा की गई। आर्य समाज से जुड़े शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों ने भी अपने विचार प्रकट किए।

-----------------

हमें महापुरुषों के जीवन के बारे में जो भी जानकारी लेनी है, वह पुस्तकों से ही मिलती है। ऐसे में पुस्तकें हमारा ज्ञान बढ़ाती हैं तो बेहतर करने की प्रेरणा भी देती हैं।

-आचार्य विजयपाल, प्रधान आर्य प्रतिनिधि सभा, हरियाणा।

------------

भागदौड़ के इस जीवन में पुस्तकें हमारी मित्र हैं, जो गलत और सही का बोध कराती हैं। सभी स्कूल समय-समय पर पुस्तक मेले तथा प्रदर्शनी का आयोजन करें। ऐसे कार्यक्रमों में स्वामी श्रद्धानंद जैसे महापुरुषों के जीवन से अवगत कराया जाए तो निश्चित ही जीवन को दिशा मिलेगी।

-प्रेम कुमार मित्तल, सचिव गुरुकुल इंद्रप्रस्थ।

--------

किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने

के लिए विचार व संस्कार बहुत जरूरी हैं, जो हमें शिक्षकों और पुस्तकों से ही मिल सकते हैं।

-भावना, शिक्षिका।

----------

समाज के विकास में जिन महापुरुषों ने अहम भूमिका अदा की है। ऐसे महान पुरुषों के जीवन के बारे में जान कर हम अपने जीवन को भी संवार सकते हैं। पुस्तकों से हमें जीवन संवारने का मौका मिलता है।

-सत्यभूषण आर्य।

-------------

आज युवा पीढ़ी को संस्कार देने की जरूरत है। बड़े पैमाने पर स्कूलों व कालेजों में भी ऐसे पुस्तक प्रदर्शनी व मेले आयोजित किए जाएं, जो पाठयक्रम से हटकर जीवन को मर्यादित ढंग से जीने की सीख दें।

-हरविंदर रिहाल, शिक्षिका।

----------

पुस्तक प्रदर्शनी तथा पुस्तकों के महत्व पर चर्चा में शामिल होकर बहुत कुछ सीखने को मिला।

-दुर्गा प्रसाद, छात्र।

--------------

पुस्तकें असल में मार्गदर्शक का काम करती हैं। अच्छे साहित्य के पढ़ने से विचारों में शुद्धता आती है।

-आरती दास, शिक्षिका।

--------------

महापुरुषों की जीवनी पढ़ने से प्रेरणा मिलती है। कल्याण की भावना का विकास भी होता है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को अच्छा साहित्य उपलब्ध कराएं।

-कंचन चौहान, शिक्षिका।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.