दशहरा मैदान अग्निकांड का असर पर्यावरण पर भी
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : एनआइटी दशहरा मैदान में मंगलवार को हुए अग्निकांड में करोड़ों रुपये की आ
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : एनआइटी दशहरा मैदान में मंगलवार को हुए अग्निकांड में करोड़ों रुपये की आतिशबाजी जलकर खाक हो गई। इसका सीधा असर घटनास्थल के आसपास पर्यावरण पर हुआ। जिस समय पटाखा बाजार में आग लग रही थी, उस दौरान प्रदूषण की मात्रा दोगुने तक बढ़ गई। हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार विषैली गैस और अवांछित कण लंबे समय तक पर्यावरण में मौजूद रहेंगे। इनके असर से लोगों को सिर में भारीपन, आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, जी मिचलाना जैसी परेशानियां हुई।
आग लगते ही पड़ने लगा पर्यावरण पर असर
आतिशबाजी जलने से कई तरह की विषैली गैसें निकलती हैं। एनआइटी में इतनी बड़ी मात्रा में एक साथ आतिशबाजी जली तो वायुमंडल में विषैली गैसों की मात्रा बढ़ गई। मंगलवार को शाम करीब साढ़े छह बजे पटाखा बाजार में आग लगी। उससे पहले पांच बजे पर्यावरण में कार्बन मोनोआक्साइड की मात्रा 0.9 मिलीग्राम (एमजी) थी। सात बजे यह 3.2 एमजी हो गई वहीं 10 बजे तक इसकी मात्रा 5.0 एमजी हो गई। (गैस की मात्रा मिलीग्राम पर क्यूबिक मीटर में) इसी तरह सल्फर डाइआक्साइड की मात्रा शाम पांच बजे 12.5 माइक्रोग्राम थी। शाम सात बजे बढ़कर 35.8 हो गई। नाईट्रिक आक्साइड की मात्रा शाम पांच बजे पांच थी। शाम सात बजे यह 114 तक पहुंच गई। वहीं रात नौ बजे इसकी मात्रा 245 आकी गई। नाइट्रोजन डाइआक्साइड की मात्रा शाम पांच बजे 92 थी। शाम सात बजे यह 164 हो गई। वहीं आक्साइड आफ नाइट्रोजन गैस की मात्रा शाम पांच बजे 97 थी। रात 10 बजे यह 406 तक हो गई। इसके अलावा आतिशबाजी जलने का असर हवा में महीन अवांछित कणों पर भी पड़ा। शाम पांच बजे इनकी मात्रा 78 फीसद आंकी गई थी। शाम 7 बजे यह 180 हो गई। रात दस बजे तक यह 267 तक हो गई। (सभी गैसों की मात्रा माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर में)।
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हमारे पास पर्यावरण में गैसों की मात्रा मापने के लिए एक मशीन सेक्टर-16 में लगी हुई है। आग दशहरा मैदान में लगी थी। इन दोनों के बीच की दूरी काफी अधिक है। मशीन ने प्रदूषण के जो आंकड़े दिए हैं, आग वाली जगह के आस पास उससे काफी अधिक प्रदूषण होगा। ये सभी गैस स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं।
- संजीव बुद्धिराजा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।