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आंदोलन करने वालों को जनता ने रखा सिर माथे पर

सुभाष डागर , फरीदाबाद अगर नेता बनना है तो लोगों के बीच में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 01:04 AM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 01:04 AM (IST)
आंदोलन करने वालों को जनता ने रखा सिर माथे पर

सुभाष डागर , फरीदाबाद

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अगर नेता बनना है तो लोगों के बीच में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। जो नेता लोगों के बीच रह कर उनकी समस्याओं को नहीं उठाता, जनता उसे नकार देती है। इस विधानसभा चुनाव में ऐसे ही नेताओं को जनता ने चुनकर विधानसभा में भेजा है, जो उनकी समस्याओं को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे।

एनआइटी सीट से जीते इनेलो नेता नगेंद्र भड़ाना लगातार श्रम मंत्री व निर्दलीय उम्मीदवार पंडित शिवचरण लाल शर्मा का क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं को लेकर विरोध करते रहे। ऐसे में अब क्षेत्र की जनता ने शर्मा के विकल्प के रूप में नगेंद्र भड़ाना को चुन कर विधानसभा में पहुंचा दिया। इसी तरह से बड़खल में राजस्व मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह का भाजपा नेता सीमा त्रिखा लगातार विरोध करती रहीं। वो लोगों की समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन करती रहती थीं। इसलिए लोगों ने बदलाव का मन बनाया तो सीमा को ही भारी बहुमत से चुनाव जिता कर विधानसभा में पहुंचा दिया। ऐसे ही कांग्रेस नेता ललित नागर प्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद लोगों की समस्याओं को लगातार तिगांव सीट से भाजपा विधायक रहे कृष्णपाल गुर्जर का विरोध करते रहे और आंदोलन चलाते रहे।

यही वजह रही कि तिगांव के मतदाताओं ने भाजपा की लहर के बावजूद कांग्रेस के ललित नागर को विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचा दिया। बल्लभगढ़ में मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर का समय-समय पर भाजपा नेता मूलचंद शर्मा ने विरोध किया। उन्होंने कई बार धरना-प्रदर्शन करके लोगों की समस्याओं को उठाया तो उन्हें भी मतदाताओं ने भारी मतों से चुनाव जिता कर विधानसभा में पहुंचा दिया। पृथला से कांग्रेस विधायक रघुबीर सिंह तेवतिया का भाजपा नेता नयनपाल रावत और बसपा नेता टेकचंद शर्मा लगातार विरोध करते रहे। उन्होंने सड़कों की जर्जर हालत को लेकर समय-समय पर धरने दिए। किसानों के साथ आइएमटी, इंडियन आयल के सामने धरने का समर्थन किया। इस आंदोलन की बदौलत नयनपाल रावत और टेकचंद शर्मा के बीच अंतिम समय तक लड़ाई चलती रही। अंत में टेकचंद चुनाव जीतने में कामयाब रहे। यहां पर इनेलो नेता विधायक तेवतिया का कभी भी जमकर विरोध नहीं कर पाए। इसलिए लोगों ने उन्हें चौथे पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया।


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