भूजल दोहन पर रोक नहीं
सुरेंद्र चौहान, पलवल : जिले में अवैध भूजल दोहन लगातार जारी है। प्रशासन के उपेक्षित रवैये से कुछ पानी माफिया फैक्टरियों को पानी बेच रहे हैं तो कुछ पानी का कारोबार कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इस कारोबार से जुड़े अधिसंख्य लोगों ने न तो भूजल बोर्ड से कोई मंजूरी ली है और न ही बोरिंग का तरीका सही है। इसके कारण लगातार गिरते भूजल स्तर से लोग परेशान हैं और जनप्रतिनिधि व अधिकारियों को इसकी सुध ही नहीं है।
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अवैध बोरिंग से खींच रहे पानी
जिले में दर्जनों स्थानों पर अवैध नलकूप लगे हुए हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में दर्जनों स्थानों पर गहरी बोरिंग करके टैंकरों के माध्यम से पानी कारखानों में भी बेचा जा रहा है। कुछ स्थानों पर अवैध रूप से पानी के जार, बोतलें व थैलियां भरकर दूसरे स्थानों पर आपूर्ति की जाती हैं। कई लोगों ने तो जनस्वास्थ्य विभाग की लाइनों में अवैध कनेक्शन किया हुआ है। इस कारोबार से जुड़े अनेक लोगों ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा 33 के तहत भूजल दोहन के लिए भूजल बोर्ड से अनुमति भी नहीं ली है।
लगातार गिर रहा है जलस्तर
अवैध भूजल दोहन से भूमिगत जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। कुछ वर्षो पूर्व तक जहां 25-30 फुट पर पानी निकला आता था, अब वहां करीब 100-125 फुट पर पानी निकलता है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार भी जिले में भूमिगत जलस्तर 3.35 मीटर घट चुका है। किसानों को प्रति वर्ष अपने ट्यूबवेलों के बोरों में 10 से 20 फुट पाइप और डालना पड़ता है। जनस्वास्थ्य विभाग भी पुराने नलकूप ठप हो जाने पर हर साल नए नलकूप लगाने पड़ते हैं।
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अवैध भू जल दोहन करने वालों को नेताओं का संरक्षण प्राप्त होता है। जनप्रतिनिधियों को वर्तमान की स्थिति से सबक लेकर प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाकर इन रोक लगानी चाहिए।
-मनोज बंसल, निवासी पलवल।
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यदि यही हाल रहा तो क्षेत्र के लोगों को भविष्य में भारी पेयजल संकट से जूझना पड़ेगा और उसका असर जनप्रतिनिधियों पर भी पड़ेगा। इसलिए जनप्रतिनिधियों को जल संरक्षण के मामले में कदम उठाने चाहिएं।
-महेंद्र सिंह, निवासी मर्रोली।