बॉक्स लें:: उद्योग जोनर - फाइलों में फंसा प्लाटों के उप विभाजन का मामला
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद :
शहर के सबसे पहले औद्योगिक क्षेत्र के बड़े प्लाटों के उप-विभाजन का मामला सरकारी फाइलों में फंस गया है। नगर निगम नीति तैयार कर सरकार को भेज चुका है। बावजूद इसके सरकार ने नीति के ड्राफ्ट को मंजूरी नहीं दी है। इससे चिंतित उद्योगपतियों का कहना है कि यदि चुनाव की घोषणा होने से पहले सरकार नीति को मंजूरी नहीं देती है तो यह मामला लंबे समय के लिए लटक सकता है।
बता दें, एनआइटी औद्योगिक क्षेत्र में कुल 44 औद्योगिक प्लाट पर सबडिवीजन कर नई औद्योगिक इकाई विकसित हुई हैं। इनमें से 30 पर अवैध रूप से प्लाटिंग हुई जबकि 14 पर नगर निगम से अनुमति ली गई। निगम सर्वे में यह भी सामने आया है कि जिन 14 पर सबडिवीजन के लिए अनुमति ली गई, उनमें भी अनुमति से 60 ज्यादा प्लाट काट दिए गए। नगर निगम ने यहां कुल 938 प्लाट का सर्वे किया है।
एनआइटी औद्योगिक क्षेत्र में सबडिवीजन पर कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करने के बाद आदेश दिए थे। इसके बाद यहां के औद्योगिक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में गुहार लगाई। औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने तोड़फोड़ की बड़ी कार्रवाई से बचने के लिए राज्य सरकार से भी रिहायशी भवनों की तर्ज पर इन्हें नियमित किए जाने की मांग की थी। इसके चलते सरकार के निर्देश पर नगर निगम ने सर्वे कर नीति का ड्राफ्ट कर सरकार को भेजा था।
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इस मामले की सुनवाई अब सितंबर में होनी है, लेकिन तब तक सरकार को नीति को मंजूरी देकर आगे की कार्रवाई करनी चाहिए। इससे इन कारखानों के मालिकों और वहां काम कर रहे मजदूरों को राहत मिलेगी, वहीं नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू होने पर नगर निगम को भी लगभग 25 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में मिलेंगे।
- रमणीक प्रभाकर, महासचिव, इंडस्ट्रियल एरिया वेलफेयर एसोसिएशन।