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अंकों की दौड़ में पड़कर पुरस्कार नहीं लेंगे अध्यापक: मंदौला

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : ऐसा नहीं है की शिक्षा विभाग में योग्य अध्यापकों की कमी है। बहुत से योग

By Edited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 07:58 PM (IST)

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : ऐसा नहीं है की शिक्षा विभाग में योग्य अध्यापकों की कमी है। बहुत से योग्य अध्यापक राज्य शिक्षक पुरस्कार लेना भी नहीं चाहते हैं। आवेदन करके सभी नियमों शर्तो की पालना करते हुए पुरस्कार की दौड़ में शामिल होना एक प्रकार की परीक्षा ही है जिसे अध्यापकों ने नामंजूर कर दिया है। यह बात हरियाणा राज्य अध्यापक संघ के राज्य महासचिव संजीव मंदौला व जिला प्रधान सत्यवान शास्त्री ने बुधवार को यहां जारी अपने बयान में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को चाहिए कि अवार्ड चाहे कम कर दे लेकिन चंद बिंदुओं के प्राप्त अंकों के आधार पर विभाग उन्हें पुरस्कार न दे, इसका दायरा विस्तृत होना चाहिए। विभाग द्वारा निर्धारित पैमाने में से सभी नहीं निकल सकते। उन्होंने कहा कि जो टीजीटी बोर्ड कक्षा पढ़ा ही नहीं रहा, जैसे कि मिडल स्कूल में बोर्ड परीक्षा नहीं है तो वो परीक्षा परिणाम कहां से देगा। इसी तरह वर्तमान अंक आधारित पुरस्कार आवेदन नियमावली में बहुत खामियां हैं। इस पैमाने में सभी वर्ग के अध्यापक, मुख्याध्यापक, प्राध्यापक व प्राचार्य फिट नहीं बैठते हैं। मिडल स्कूल के मास्टर के पास बोर्ड परीक्षा परिणाम नहीं हैं। रक्तदान, अल्प बचत, परिवार नियोजन, स्वच्छता अभियान, एनसीसी, एनएसएस गतिविधियां, कब, बुलबुल, स्काउट, विज्ञान प्रदर्शनियां, खेल प्रतियोगिताओं के अंकों को विशेष स्थान दिया जाए। परीक्षा परिणामों को पुरस्कार, वेतन वृद्धि , प्रमोशन और राज्य पुरस्कार के लिए मुख्य आधार बनाना राज्य में परीक्षाओं में नकल को बढ़ावा दे सकता है। अध्यापकों को पुरस्कार आवेदन के जरिये दिया जाना न्यायोचित नहीं है। उनका कहना है कि वो अवार्ड ही क्या जो मागने पर मिले।


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