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अत्यंत दुर्लभ है मानव जीवन : प्रीति बाई

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : बालयोगिनी प्रीति बाई ने कहा कि मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ है। कर्म लोक

By Edited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 10:57 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 10:57 PM (IST)

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

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बालयोगिनी प्रीति बाई ने कहा कि मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ है। कर्म लोक में सभी जीव योनियों में केवल मानव योनि ही ऐसी है जिसमें ज्ञान, विवेक, साधना, परमार्थ के मार्ग पर चलकर जीव आवागमन से मुक्त होकर परमानंद की डगर तक पहुंच सकता है। प्रीति बाई गर के घीकाड़ा रोड स्थित श्री हरिओम आश्रम में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत के तहत भागवत के आधार पर धर्म के विविध पक्षों की सरल व्याख्या कर रही थी। उन्होंने कहा कि संसार को कर्म लोक भी कहा जाता है। व्यक्ति के कर्मो से ही उसके वर्तमान व भविष्य का निर्धारण होता है। संसार में कर्म करते हुए धर्म मार्ग पर चलकर मनुष्य परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। उन्हें पाने के लिए संसार के त्याग की जरूरत नहीं है। गृहस्थ आश्रम को श्रेष्ठ माना गया है। लाखों योनियों के बाद जीव को मनुष्य योनि मिलती है। अज्ञान के वशीभूत व माया के विविध रूपों में फंसकर जीव अपने लक्ष्य को भूल जाता है। वास्तव में मनुष्य जीवन का लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करना है। श्रीमद्भागवत का नित्य प्रति सुमरन, मनन एवं चिंतन संसार से पार होने का सेतु बन जाता है। भागवत के चिंतन से हृदय में आध्यात्मिकता अलौकिक प्रकाश का समावेश होने लगता है। अध्यात्म के मार्ग पर चलने से विवेक की जागृति होती है। इस अवसर पर साध्वी कौशल महाराज का विशेष सानिध्य रहा। कथा में सैकड़ों महिला एवं पुरुष मौजूद थे।


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