फर्जी विकलाग प्रमाणपत्र से 12 साल पि्रंसिपल साहब पढ़ रहे पाठ
अशोक ढिकाव, भिवानी शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। शिक्षा विभाग में फर्जी विकल
अशोक ढिकाव, भिवानी
शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। शिक्षा विभाग में फर्जी विकलागता प्रमाणपत्र के सहारे राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय काकड़ोली हुक्मी में प्रिंसिपल का चार्ज संभाल कर मास्टर जी मानवता का पाठ पढ़ाने में लगे है। आरटीआइ रिपोर्ट में खुलासा होने पर मामला उपायुक्त दरबार में पहुचा है। उपायुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी व बाढड़ा खंड अधिकारी को जाच के आदेश दिए हैं। जिसके बाद विभाग में खलबली मची हुई है।
गाव द्वारका निवासी कृष्ण कुमार व आरटीआइ कार्यकर्ता एडवोकेट संजय श्योराण को गाव काकडोली हुकमी के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में तैनात पि्रंसिपल द्वारा फर्जी विकलागता प्रमाणपत्र बनवाकर नौकरी हथियाने की भनक लगी। यह भनक लगने पर दोनों ने जिला शिक्षा विभाग बाढड़ा खंड अधिकारी व जिला स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन से इस बारे में आरटीआइ के माध्यम से सूचना मागी। आरटीआइ रिपोर्ट मिलने पर फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ। सूचना से खुलासा हुआ कि वर्ष 2002 में उसने शिक्षा विभाग से नौकरी हासिल कर गाव द्वारका राजकीय स्कूल में तैनात हुआ। यह नौकरी हासिल करने के दौरान प्रस्तुत किया गया विकलागता प्रमाणपत्र जिसमें उसने अपने आपको 60 फीसद विकलाग दिखाया गया है, वह पूरी तरह से फर्जी है। इस बारे में स्वास्थ्य विभाग से मिली सूचना से खुलासा हुआ कि विकलाग प्रमाणपत्र को जो रजिस्ट्रेशन नंबर 334 दिखाया गया है। इस नंबर पर उक्त प्राचार्य का नाम दर्ज नहीं है, जबकि किसी और का नाम है। प्रमाणपत्र पर लगी मेडिकल बोर्ड के चिकित्सकों की मोहर व हस्ताक्षर पूरी तरह से फर्जी है। पूरी तरह से आख, कान, हाथ व पैर से स्वस्थ उक्त प्राचार्य विभाग की आखों में धूल झोंक कर 12 साल से ठाठ से नौकरी करता आ रहा है, लेकिन विभाग शिकायत मिलने की बाट देख रहा है। शिकायतकर्ता कृष्ण कुमार व एडवोकेट संजय श्योराण ने मामले की शिकायत उपायुक्त साकेत कुमार से की। उपायुक्त ने तत्काल प्रभाव से इस मामले की जाच के आदेश देते हुए कार्रवाई की माग की। मामले की शिकायत बाढड़ा थाने में भी की गई, लेकिन थाना प्रभारी देशराज ने कहा कि विकलाग प्रमाणपत्र पूरी तरह से फर्जी है। इस मामले की विभागीय जाच के बाद ही आगामी कार्रवाई करने की बात कही है। साथ ही सिविल सर्जन डॉॅ. रणदीप सिंह पूनिया ने भी साफ किया कि दर्शाई गई रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी है। इस संख्या पर किसी और के नाम से रजिस्ट्रेशन है।
आरटीआइ में हुआ है मामला उजागर : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी निर्मला श्योराण का कहना है कि इस मामले की आरटीआइ रिपोर्ट ये मामला सामने आया है। उपायुक्त के आदेश अनुसार इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
जाच के दिए हैं आदेश : डीसी
उपायुक्त साकेत कुमार ने कहा कि मामला उजागर होने पर इस मामले की खंड स्तर पर जिला स्तर पर जाच के आदेश दिए गए है। साथ ही इस तरह के मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं।