कब सपना पूरा होगा बाढड़ा से रेल सवारी का?
पवन शर्मा, बाढड़ा
प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे बाढड़ा व लोहारु क्षेत्र को रेल के माध्यम से सीधे भिवानी से जोड़ने के लिए 23 वर्ष से क्षेत्र की जनता बेसब्री से इतजार में है। राजस्थान के दो जिलों को सीधे भिवानी से देश की राजधानी तक जाने का सपना अभी सपना ही रहने से पड़ौसी राज्यों के लोगों में भी इस क्षेत्र में रेल की सीटी सुनने को बेताब बनी हुई है वहीं अपने मतदाताओं की सुविधा के लिए इस लाईन की स्वीकृति के लिए अपनी सरकारों में माग उठाने वाले दिग्गज नेताओं में भले ही मायूसी बनी हो लेकिन राजस्थान के चुनावों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। इस लाईन की मंजूरी से पड़ौसी राज्य के पिलानी, सुरजगढ़, चिड़ावा, सादुलपुर जैसे कस्बे के व्यापारियों को भी भिवानी व दिल्ली में व्यापार के लिए सबसे ज्यादा फायदा मिलने की संभावना के कारण यह रेलवे लाईन दो राज्यों के लिए जीवन रेखा साबित हो सकती है। राजस्थान के दो से तीन हजार व्यापारी प्रतिदिन भिवानी से कपड़ा, अनाज के अलावा अन्य क्षेत्र के व्यापारिक कार्यो के लिए प्रतिदिन आवागमन करते हैं और इसीलिए इस रेलवे लाईन की मंजूरी के लिए भिवानी के अलावा पड़ोसी जिले की जनता भी अपने प्रतिनिधियों पर दबाव बनाती है लेकिन आज तक परिणाम के नाम पर मात्र शून्य तक ही नतीजा मिल पाया है। इस महत्वाकांक्षी रेलवे लाईन को धरातल पर उतारने के लिए सबसे पहले वर्ष 1991 में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल ने आवाज बुलंद की जिस पर तात्कालीन समय में खाका भी तैयार किया गया लेकिन उनकी सरकार आते-आते 1996 तक यह रेलवे विभाग की फाईलों में दब गया। उस समय में भिवानी से लोकसभा सासद सुरेन्द्र सिंह व पड़ोसी राज्य के मौजूदा सासद शीशराम ओला ने मिल कर इस माग को उठा कर रेलवे को नींद से जगाया तो विभाग ने सर्वे के लिए बजट को मंजूरी लेकर काम आरभ करवा दिया लेकिन विभागीय लचरता के कारण वह दूसरा प्रयास भी नकारा साबित हुआ। केन्द्र व प्रदेश में काग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2006 में कुलदीप बिश्रनेई ने इस माग को उठाया लेकिन प्रथम प्रयास विफल रहा तो उन्होंने दूसरे वर्ष भी प्रमुखता से इस माग को उठाया और रेलवे विस्तार कमेटी ने संभावित रुट क्षेत्र का सर्वे करवा कर रिपोर्ट रेलवे मंत्रालय को भेज दी लेकिन आज तक यह मात्र एक सपना ही है। लोकसभा सत्र में भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा सासद श्रुति चौधरी भी इस माग को मजबूत तरीके से उठा चुकी हैं। सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश शर्मा द्वारा ली गई आरटीआई में इस लाईन को भिवानी, देवसर, लोहानी, लहलाना, गोलागढ़, जुई, भारीवास, लाडावास, पंचगावा, बाढड़ा, खोरड़ा इत्यादि गावों के सीमा क्षेत्र से निकालने पर संभावना रिपोर्ट तैयार की गई थी लेकिन आज तक इस पर रेल मंत्रालय ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।
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