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विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : बाबा रामदास एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित आशा किरण स्पे

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 01:00 AM (IST)
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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बाबा रामदास एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित आशा किरण स्पेशल स्कूल में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस एवं विश्व ऑटिज्म जागरूक दिवस मनाया गया।

इस दौरान स्कूल संचालिका कुसुमलता कौशिक ने स्कूल में उपस्थित बच्चों, स्टाफ, सोसाइटी सदस्यों, स्थानीय नागरिकों व अन्य गणमान्य लोगों को डाउन सिंड्रोम बच्चों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आटिज्म (स्वलीनता) ग्रीक शब्द आटोस से लिया गया है। इसका अर्थ है अपने आप में खो जाना या लीन हो जाना। ऐसे बच्चों में व्यवहारिक, सामाजिक, बोलचाल और शारीरिक विकास समस्याओं का मिलाजुला असर देखने को मिलता है। इसे बाल्यकाल स्वलीनता व कैनर व्याधि (सिंड्रोम) के नाम से जाना जाता है। इस पर शोध करने पर पता चलता है कि जब लगभग 10 हजार बच्चे पैदा होते है तो चार बच्चे इससे प्रभावित रहते है। लड़कियों की तुलना में लड़कों में इसका प्रतिशत अधिक होता है। अमेरिकन विकलागता अधिनियम 1990 के अनुसार स्वलीनता एक विकासात्मक विकलागता है। इसके साथ कुछ लक्षण भी होते है। प्रमाण के तौर पर एक ही क्रिया को बार-बार दोहराना, अचानक से गुस्सा होना व नाराज होना। बिना किसी कारण से डरना, इसके लक्षण है। ऐसे बच्चे बहुत ज्यादा आक्रोश वाले होते है। ऐसे बच्चों की नींद स्वाभाविक भी नहीं होती। ऐसे देखा गया है कि ये बच्चे किशोर अवस्था में आते-आते इन्हे दौरा पड़ना शुरू हो जाता है।


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