मेट्रो साइट पर भूमि अधिग्रहण में फिर फंसा पेंच
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : यहा के आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में मेट्रो साइट के लिए भूमि अधिग्रहण क
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
यहा के आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में मेट्रो साइट के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर फंसा पेंच अभी दूर नही हो पा रहा। नोटिफिकेशन में जितनी भूमि के अधिग्रहण का जिक्र है, उससे ज्यादा की पोजीशन लेने की कोशिश पर व्यापारी भड़क उठे हैं। ऐसे में शुक्रवार को जब मेट्रो और हुडा के अधिकारी निशानदेही करने पहुचे तो हगामा खड़ा हो गया। इस मामले को निपटाने के लिए भूमि अर्जन विभाग के अधिकारियों को भी आना था, मगर शाम तक कोई पहुचा ही नही। ऐसे में अब तक तो विवाद सिर्फ मुआवजे को लेकर ही था, मगर अब अधिगृहीत जमीन के रकबे पर भी स्थिति स्पष्ट नही है।
विगत में जब यह मामला हाईकोर्ट में पहुचा और मेट्रो परियोजना को जनहित में देखते हुए व्यापारियों को जमीन देने के निर्देश दिए गए, तब से यह माना जा रहा था कि जितनी जमीन अधिग्रहण के नोटिफिकेशन में शामिल की गई उसे व्यापारी खुशी से सौंप देंगे। मगर अब इसमें नया विवाद पैदा होने से मामला उलझ गया है।
तय अधिग्रहण से ज्यादा जमीन की ले रहे पोजीशन :
कई दिन पहले यह मामला उपायुक्त के पास पहुचा था, तब अधिगृहीत जमीन के अवार्ड में भी खामिया मिली थी। उसको लेकर हुडा की टीम द्वारा यहा पर स्ट्रैक्चर का दोबारा से एसेस्मेंट किया गया है। शुक्रवार को हुडा, मेट्रो और भूमि अर्जन विभाग के अधिकारियों की टीम को संयुक्त से बहादुरगढ़ पहुंचकर संबंधित जमीन की पोजीशन लेने के लिए निशानदेही का जिम्मा सौंपा गया था। ऐसे में हुडा की तरफ से जेई एसएस बिसला, पटवारी सुनील और मेट्रो तरफ से एस के गंजी, रवि पूनिया और सुनील दास पहुचे। काफी देर इतजार के बावजूद भूमि अर्जन विभाग से कोई नही पहुचा। इसके लिए विभाग के नायब तहसीलदार महेद्र सिंह और पूर्ण पटवारी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मगर वे नहीं आए। इस बीच मेट्रो और हुडा के अधिकारियों द्वारा भवनों के अंदर अधिग्रहण संबंधी निशानदेही शुरू की गई तो उस पर बवाल मच गया। व्यापारियों ने बिना अनुमति के उनके प्रतिष्ठानों में घुसने का तीखा विरोध किया। इस अधिग्रहण से प्रभावित आर बी यादव, श्याम लाल बंसल, बलजीत नादल का कहना था कि एक तो अधिगृहीत रकबे से ज्यादा जमीन की पोजीशन लेने के लिए निशानदेही की गई है, दूसरा मेट्रो के अधिकारियों को उनके प्रतिष्ठानों मंें घुसने का कोई अधिकार ही नही है। हमारी जमीनें हुडा की ओर से अधिगृहीत की गई है, इसलिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को ही पहले जमीन पर स्थिति स्पष्ट करनी होगी। उसके बाद वे अपने भवनों के हिस्से को खुद ही हटा लेंगे। आर बी यादव ने बताया कि मुस्ततिल 33 के खेवट नंबर 14 के 2 नंबर किला की कुल पाच मरले जमीन अधिगृहीत हुई है। इसकी सामने से चौड़ाई 150 फुट है। इस तरह से सड़क से 9 फुट की गहराई तक पाच मरले जमीन पूरी हो जाती है, मगर निशानदेही 14 फुट की गहराई पर हो रही है। इस तरह से पाच फुट तक जमीन अतिरिक्त ली जा रही है, जिसका अधिग्रहण के नोटिफिकेशन या अवार्ड में कोई जिक्र ही नही है। दूसरा जिस वक्त अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई उस समय का सर्कल रेट यहा पर 53 हजार रुपये प्रति वर्ग गज था। इस बारे में बाकायदा राजस्व विभाग के सक्षम अधिकारी की ओर से लिखित प्रमाण दिया गया है। इसके बावजूद जमीनें इस रेट के मात्र 10 प्रतिशत की दर से अधिग्रहीत की जा रही हैं। यह सरासर अन्याय है। फिर भी हम अधिग्रहीत जमीन को देने के लिए तैयार है, लेकिन ज्यादा जमीन की पोजीशन लेने का कोई औचित्य नही बनता, इसे बर्दाश्त नही किया जाएगा। अधिगृहीत भूमि का अवार्ड भी नियमानुसार देरी से सुनाया गया था। ये सभी तथ्य हाईकोर्ट के संज्ञान में लाए गए है। फरवरी में इस मामले को लेकर सुनवाई होनी है।
मेट्रो अधिकारियों ने साधी चुप्पी, हुडा की टीम भी असमंजस में :
माना जा रहा है कि अब जो पेंच फंसा हुआ है, उस पर भूमि अर्जन विभाग की ओर से ही स्थिति स्पष्ट की जा सकती है। मगर शुक्रवार को इस विभाग का कोई अधिकारी यहा नही पहुचा। मेट्रो के अधिकारियों ने तो चुप्पी साधे रखी जबकि हुडा की टीम भी असमंजस में दिखी। पोजीशन और नोटिफिकेशन की जमीन में जो अंतर है, उसमें कही न कहीं विभागीय भूल हुई है। अब इसे कैसे सुधारा जाए, इस पर विवाद है।
वर्जन : भूमि अर्जन विभाग की ओर से ही इस पर स्थिति स्पष्ट की जाएगी कि पोजीशन कितनी जमीन की लेनी है। हमें तो जमीन लेकर मेट्रो के सुपुर्द करनी है।
--सुनील कुमार, हुडा पटवारी
-यहा से अधिकारियों को नोटिस देकर सुबह ही बहादुरगढ़ के लिए भेज दिया गया था। धरातल पर जो कार्रवाई करनी है, उन्हे ही करनी है। बाद में उनसे रिपोर्ट ली जाएगी।
-राजेंद्र सिंह, एलएओ, रोहतक।